बिहार: लिखित परीक्षा और इंटरव्यू के बिना ही होगी 3100 डॉक्टरों की नियुक्तियां

बिहार हमेशा से अपने शिक्षा क्षेत्र को लेकर चर्चा में बना रहता है, ऐसे में खबर आ रही है कि, बिहार बिना लिखित परीक्षा और इंटरव्यू के 3100 डॉक्टरों की नियुक्तियां करने वाला है. ख़बरों के अनुसार, बिहार स्वास्थ्य विभाग लोकसभा चुनाव से पहले बिहार टेक्निकल कमीशन के जरिए 3,100 डॉक्टरों की नियुक्ति करने जा रही है. इसमें हैरानी वाली बात यह है कि, यह सभी नियुक्तियां बिना किसी लिखित परीक्षा और इंटरव्यू के होगी. इस बार नियुक्तियां ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन में प्राप्त अंकों के आधार पर होंगी. ये सारी प्रक्रिया अगले तीन महीने में पूरी हो जाएंगी.


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और एक बार फिर से बिहार सरकार के नियुक्ति प्रक्रिया पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं. कहा जा रहा है कि बिना लिखित परीक्षा और इंटरव्यू के डॉक्टरों की नियुक्तियां कैसे संभव है. इस सवाल पर की क्या ऐसा कर के सरकार डॉक्टरों की गुणवत्ता और क्षमता के साथ समझौता कर रही है? वहीं इस मुद्दे पर स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा, ‘नीट की परीक्षा से लेकर डॉक्टर बनने के साढ़े चार साल तक एक मेडिकल के छात्र को कम से कम 9 परीक्षाएं पास करनी होती हैं. क्या यह काफी नहीं है? बिहार स्वास्थ्य सेवा संघ के जेनरल सेक्रेटरी, डॉ रंजीत कुमार ने ये दावा किया है कि राज्य से डॉक्टरों की 70% किल्लत है. यही वजह है कि सरकार ने ये निर्णय लिया है.


वहीं मामले पर बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) के माध्यम से डॉक्टरों की नियुक्ति में देरी का हवाला देते हुए, स्वास्थ्य विभाग ने बिहार तकनीकी आयोग के माध्यम से डॉक्टरों की नियुक्ति के लिए कुछ महीने पहले ही नियमों में संशोधन किया था.ऐसा करने से इंटरव्यू की प्रक्रिया तो पहले ही खत्म हो गई. बीटीसी अब डॉक्टरों की नियुक्ति स्नातक और स्नातकोत्तर चिकित्सा पाठ्यक्रमों में प्राप्त अंकों के आधार पर करेगा.


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प्राप्त अंकों के आधार पर होगी नियुक्तियां


पांडेय ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि, स्वास्थ्य सेवाओं (जिला अस्पतालों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, स्वास्थ्य उप केंद्रों आदी) में 11,393 डॉक्टरों के पद पर केवल 2,700 नियमित डॉक्टर ही काम कर रहे हैं. मेडिकल शिक्षा में ये परिदृश्य (सहायक प्रोफेसर, प्रोफेसर) थोड़ा बेहतर है. जैसे स्वास्थ्य सेवाओं में 70% डॉक्टरों की कमी है, वैसे ही मेडिकल शिक्षा में 65% प्रोफेसरों और सहायक प्रोफेसरों की कमी है.


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