वैश्विक भ्रष्टाचार सूचकांक 2018 रिपोर्ट: चीन, पाकिस्तान और रूस में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार, भारत की स्थिति में हुआ सुधार

पूरी दुनिया के भ्रष्ट देशों की सूची जारी की गई है. 180 देशों की इस सूची में भारत तीसरे स्थान के सुधार के साथ 78वें पायदान पर पहुंच गया है. जिसके हिसाब से भारत की स्थिति में सुधार हुआ है. यानि के रूस, चीन और पाकिस्तान समेत 102 देशों में भारत से ज्यादा भ्रष्टाचार है. इस रिपोर्ट के मुताबिक सोमालिया दुनिया का सबसे भ्रष्ट देश है. साल 2017 भारत की सूची में 81वें स्थान पर था और अब वह 78वें पर पहुंच गया है. जबकि दुनिया के सबसे 20 बेहतर देशों की सूची से अमेरिका बाहर हो गया है. पाकिस्तान की हालत अब भी बेहद खराब है.


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वैश्विक भ्रष्टाचार सूचकांक 2018 हुई जारी

भ्रष्टाचार-निरोधक संगठन ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने वैश्विक भ्रष्टाचार सूचकांक 2018 जारी किया है. इस सूची में दुनिया के 180 देशों के नाम हैं. पहले नंबर पर डेनमार्क है. यानि की वहां सबसे कम भ्रष्टाचार होता है. जबकि भारत का नंबर 78 है. इससे पहले साल 2017 में आई सूची में भारत की रैंक 81 थी. मतलब कि पिछले 1 साल के अंदर भारत में भ्रष्टाचार कम हुआ है. हालांकि, यह सुधार काफी मामूली है. साल 2017 की बात की जाए भारत को 40 अंक मिले थे. जबकि इस साल भारत के खाते में 41 अंक आए हैं. यानि 1 अंक की बढ़ोतरी के साथ भ्रष्ट देशों के पायदान पर भारत नीचे आया है.


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चीन, पाकिस्तान और अमेरिका की हालत खराब, सोमालिया सबसे भ्रष्ट

भारत की रैंकिंग में जहां सुधार हुआ है तो वहीं पड़ोसी मुल्क चीन और पाकिस्तान की स्थिति काफी खराब है. इस लिस्ट में चीन 87वें पायदान पर है और पाकिस्तान बहुत ज्यादा बुरी स्थिति में है. 180 देशों की लिस्ट में पाकिस्तान 117वें स्थान पर है. यानी वहां भारत से कहीं ज्यादा करप्शन है. भ्रष्टाचार के मामले में सबसे खराब हालत सोमालिया की है. जबकि सबसे बेहतर देश डेनमार्क है. उसके बाद न्यूजीलैंड, फिनलैंड, सिंगापुर, स्वीडन और स्विट्जरलैंड का नंबर आता है. डोनाल्ड ट्रंप के राज में अमेरिका की स्थिति भी खराब हुई है. इस साल अमेरिका को 71 प्वाइंट मिले हैं और वह टॉप 20 देशों से बाहर हो गया है. इस साल अमेरिका की रैंक 22 है, जो पहले 18 थी. बता दें कि साल 2011 के बाद यह पहला मौका है जब भ्रष्टाचार सूचकांक में अमेरिका टॉप 20 बेहतर देशों में शामिल नहीं है. इस वैश्विक भ्रष्टाचार सूचकांक में करीब दो तिहाई से अधिक देशों को 50 से कम अंक मिले हैं. हालांकि देशों का औसत प्राप्तांक 43 रहा है.


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