68500 सहायक शिक्षक भर्ती: HC के आदेश पर CBI ने दर्ज की FIR, अटक सकती है भर्ती

68500 सहायक शिक्षक भर्ती मामले में हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने एफआईआर लिख ली है. शिक्षक भर्ती के इस मामले में हुई गड़बड़ियों पर अब सीबीआई जाँच होगी. धांधली के इस पूरे खेल में शिक्षा विभाग से लेकर कई बड़े आइएएस फंसे हैं. सीबीआई की लखनऊ यूनिट ने केस दर्ज कर लिया है.

 

बता दें 68500 सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा में बरती जा रही अनियमितताओं से नाराज इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इन नियुक्तियों पर सीबीआई जांच का आदेश सुना दिया था. साथ ही अदालत ने 6 माह के अन्दर जाँच प्रक्रिया पूरी करने का भी निर्देश दिया था.चीनी उद्योग व गन्ना विकास विभाग के प्रमुख सचिव संजय भुसरेड्डी की अध्यक्षता में बनी तीन सदस्यीय कमेटी की जांच के आधार पर इस मामले में कार्रवाई की गई थी. लेकिन अदालत इस कार्रवाई से संतुष्ट नही थी. सहायक शिक्षक भर्ती की जांच के लिए गठित की गई तीन सदस्यीय कमेटी के कामकाज और जांचकर्ताओं के चयन पर भी कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त की.

 

68500 सहायक अध्यापक भर्ती में सभी को पुनर्मूल्यांकन का मौका

दरअसल इससे पहले उच्च न्यायालय ने 68,500 सहायक अध्यापक भर्ती मामले में सभी अभ्यर्थियों के कापियों के पुनर्मूल्यांकन अवसर प्रदान किया था. साथ ही सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी को दो सप्ताह में प्राप्त होने वाले प्रार्थना पत्रों का पुनर्मूल्यांकन कराने का निर्देश दिये थे. अक्टूबर के पहले सप्ताह में 68,500 शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा में हुई गड़बड़ी पर बेसिक शिक्षा विभाग ने बड़ी कार्रवाई की थी.

 

जांच रिपोर्ट के आधार विभागीय अपर मुख्य सचिव डा. प्रभात कुमार ने परीक्षा नियामक प्राधिकारी के रजिस्ट्रार जीवेन्द्र सिंह ऐरी और उप रजिस्ट्रार प्रेम चन्द्र कुशवाहा को निलंबित कर दिया था. साथ ही राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के सात अधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की बात कही थी.

 

343 कॉपियों के मूल्यांकन में गड़बड़ी

जांच टीम ने अपनी छानबीन में पाया कि 343 कॉपियों के मूल्यांकन में गड़बड़ी हुई थी. जिन कॉपियों में गड़बड़ी थी उनमें से 51 अभ्यर्थी लिखित परीक्षा में सफल थे लेकिन उन्हें फेल कर दिया गया था. अब वे उत्तीर्ण की श्रेणी में हैं। वहीं 53 ऐसे सफल अभ्यर्थी इस परीक्षा में फेल पाए गए हैं जिन्हें शिक्षक के पद पर नियुक्ति मिल चुकी थी.

 

कमेटी द्वारा की गयी जांच में पाया गया कि कॉपियों को चेक करने में भारी लापरवाही बरती गई. इसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने परीक्षा नियामक प्राधिकारी सुत्ता सिंह को निलंबित कर दिया था. साथ ही बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव संजय सिन्हा व रजिस्ट्रार जीवेंद्र सिंह ऐरी को हटा दिया था.

 

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