बवासीर, भगन्दर, फिशर रोगियों के लिए रामबाण ईलाज, इस उपाय से मिलेगा 3 दिन में छुटकारा

लाइफस्टाइल: आज कल की बिजी लाइफस्टाइल की वजह से कई लोगों को बहुत सी बीमारियों का भार झेलना पड़ रहा है. खराब डाइट और एक्सरसाइज न करने की वजह से भी इन सभी समस्याओं का शिकार हो रही है आज कल की यूथ, अधिकतर लोग पेट संबंधी रोगों से ज्यादा पीड़ित हो रहे हैं। जंक फूड और तेल वाली चीजों का प्रचलन बढ़ने से मोटापा, कब्ज, बवासीर आदि बीमारियों का खतरा बढ़ा है।

 

एक्सरसाइज के लिए समय नहीं मिल पाने या आलस की वजह से फिजिकल एक्टिविटी नहीं कर पाने की वजह से लोगों में पेट संबंधी रोगों की संख्या बढ़ी है। जंक फूड और तेल वाली चीजों का प्रचलन बढ़ने से मोटापा, कब्ज आदि बीमारियों का खतरा बढ़ा है। इन्हीं में बवासीर भी एक आम समस्या है। बवासीर की तरह भगन्दर और फिशर भी हैं जिनकी लोगों को पहचान नहीं है। इन रोगों की अनदेखी करने का आपको खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। चलिए जानते हैं इन रोगों के बारे में और राहत पाने के कुछ उपाय।

 

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  • बवासीर ( Piles )

 

बवासीर एक गंभीर बीमारी है। इस रोग में गुदा के मुख में छोटे-छोटे मस्से होते हैं, इनमें से एक, दो या अनेक मस्से फूलकर बड़े हो जाते हैं। ये मस्से पहले कठोर होना शुरू होते हैं, जिससे गुदा में जलन और चुभन होने लगती है। इस स्थिति में ध्यान न दिया जाए, तो मस्से फूल जाते हैं और एक-एक मस्से का आकार मटर के दाने या चने बराबर हो जाता है। ऐसी स्थिति में मल विसर्जन करते समय तो भारी पीड़ा होती है और रोगी सीधा बैठ नहीं पाता है। इसके अलावा मलाशय के आस-पास नसों में सूजन, जलन, असहनीय दर्द और पेशाब में खून आने की समस्या रहती है। बवासीर रोग में यदि खून भी गिरे तो इसे खूनी बवासीर कहते हैं। यह बहुत भयानक रोग है, क्योंकि इसमें पीड़ा तो होती ही है साथ में शरीर का खून भी व्यर्थ नष्ट होता है। कुछ घरेलू नुस्खों से इस बीमारी को जड़ से खत्म किया जा सकता है।

 

ईलाज के लिए इस्तेमाल करें मेथी

 

मेथी एक ऐसी चीज है जो हर भारतीय किचन में मौजूद होती है। सब्जी में छौंक लगाने के साथ साथ मेथी कई स्वास्थ्य लाभ भी पहुंचाती हैं। आयुर्वेदिक डॉक्टर मेथी के दानों को एक औषधी मानते हैं। क्योंकि इसमें इसमें फोलिक एसिड, मैग्नीशियम, सोडियम, जिंक, कॉपर, नियासिन, थियामिन, कैरोटीन आदि पोषक तत्व पाए जाते हैं।

 

 

मेथी के भीगे हुए दाने बवासीर जैसी खतरनाक बीमारी को खत्म करने में मदद करते हैं। रोजाना सुबह यदि खाली पेट मेथी के दानों को चबाकर खाया जाए तो बवासीर को रोकने में काफी मदद मिलती है। इसके अलावा 5-5 ग्राम मेथी और सोया के दाने पीसकर सुबह-शाम पीने से भी ये रोग संतुलित रहता है। यदि आपको ये खाने में काफी कड़वे लगें तो आप इसमें थोड़ी से चीनी मिलाकर भी खा सकते हैं। यदि आप मेथी के दानों का पेस्ट मस्सों पर लगाते हैं तो आपको जलन और खुजली में भी काफी राहत मिलेगी।

 

  • फिशर  ( Fissure )

 

अधिकतर लोग गुदा अर्थात मलद्वार में होने वाले रोगों को बवासीर समझ लेते हैं। एनल फिशर अर्थात गुदाचीर इनसे भिन्न ही मलद्वार की एक बीमारी है। दरअसल कई बार एनल कैनाल के आसपास के हिस्से में दरारें जैसी बन जाती हैं, इसी को फिशर कहा जाता है। ये दरारें मामूली ये बेहद बड़ी हो सकती हैं। बड़ी दरारें होने में इनसे खून भी आ सकता है और ये लगातार होने वाले दर्द, जलन और असहजता का कारण बन सकती हैं। फिशर अक्सर तब होता है, जब मल त्याग के दौरान कठोर और बड़े मल निकलते हैं। इस रोग में मल त्याग के दौरान दर्द होना और खून आना शामिल हैं। फिशर के अन्य लक्षणों में गुदा के आसपास खुजली या जलन होना, गुदा की त्वचा में दरार दिखाई देना और गुदा के पास कोई गांठ बनना।

 

ईलाज के लिए इस्तेमाल करें ऑलिव ऑयल

 

साइंटिफिक वर्ल्ड जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, एनल फिशर से पीड़ित रोगियों में ऑलिव ऑयल, शहद और मोम के मिश्रण के उपयोग से फिशर के कारण होने वाले दर्द, खून बहने व खुजली आदि लक्षणों को कम किया जा सकता है। ऑलिव ऑयल से मल त्याग को आसान बनाने में मदद मिलती है।

 

 

समान मात्रा में ऑलिव ऑयल, शहद और मोम को मिला लें।
अब इसे माइक्रोवेव में तब तक गर्म करें, जब तक कि मोम पूरी तरह पिघल न जाए।
इसके ठंडा हो जाने के बाद प्रभीवित क्षेत्र पर इसे लगाएं।
दिन में कई बार इसका उपयोग करें।

 

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  • भगन्दर ( Anal Fistula )

 

भगन्दर गुद प्रदेश में होने वाला एक नालव्रण है जो भगन्दर पीड़िका से उत्पन होता है। इसे इंग्लिश में फिस्टुला कहते हैं। यह गुद प्रदेश की त्वचा और आंत्र की पेशी के बीच एक संक्रमित सुरंग का निर्माण करता है जिस में से मवाद का स्राव होता रहता है। भगन्दर की शुरुआत में गुदा मार्ग में छोटी फुंसियां होती हैं, जिनमें छूने या बैठने पर हल्का दर्द हो सकता है। कुछ सप्ताह बाद ही इन फुंसियों में मवाद आ जाता है और ये फूट जाती हैं। ऐसे में रोगी को बैठने, लेटने और शौच करने में दर्द का अनुभव होने लगता है। यह बवासीर से पीड़ित लोगों में अधिक पाया जाता है। सर्जरी या शल्य चिकित्सा या क्षार सूत्र के द्वारा इस में से मवाद को निकालना पड़ता है और कीटाणुरहित करना होता है। आमतौर पर यही चिकित्सा भगन्दर रोग के इलाज के लिए करनी होती है जिस से काफी हद तक आराम भी आ जाता है। इसके लक्षणों में एनल में दर्द, सूजन, मल आने में बदलाव, मल में खून आना, गुदा के पास किसी छेद से पस आना, कब्ज और गुदा से रिसाव होना शामिल हैं।

 

नीम के पत्तों में जाने वाले औषधीय गुण कई गंभीर बिमारियों से लड़ने में सहायक होते हैं। नीम में एंटी सेप्टिक, एंटी वायरल, एंटी बैक्टीरियल, एंटी फंगल, एंटी ऑक्सीडेंट तत्व होते हैं जिसकी वजह से इसका कई रोगों में यूज किया जाता है।नीम के पत्ते स्वाद में भले ही कड़वे हों, लेकिन इससे होने वाले लाभ अमृत के समान होते हैं।

 

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नीम की पत्तियां, देसी घी और तिल 5-5 ग्राम की मात्रा में कूट-पीस लें
उसमें 20 ग्राम जौ के आटे को मिला लें
अब जरूरत अनुसार पानी मिलाकर लेप बनाएं
इस लेप को सूती कपड़े या एडल्ट डाइपर पर फैलाकर भगन्दर पर बांधें
आपको दर्द से आराम मिलेगा और जल्द ही रोग पूरी तरह ठीक हो जाएगा

 

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