इटावा: इलाज के लिए चाहिए था 1 और दिन का वक्त, रेलवे बोला- पहले आकर जी-92 फॉर्म भरो, महिला कर्मचारी हाथ में ड्रिप लगी होने के बावजूद छुट्टी मांगने पहुंची स्टेशन

उत्तर मध्य रेलवे का इटावा स्टेशन काफी सुर्खियां बटोर रहा है। यहां एक महिला कर्मचारी (Railway woman employee) को इलाज के लिए एक और दिन का समय चाहिए था। लेकिन रेलवे का कहना था कि पहले मरीज खुद आकर जी-92 फॉर्म भरे ताकि यह पता लग सके कि वो झूठ नहीं बोल रहा। इसके बाद ही उसकी छुट्टी मान्य होगी। यही वजह रही कि गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराई गई महिला कर्मचारी हाथ में ड्रिप लगी होने के बावजूद छुट्टी मांगने स्टेशन आना पड़ा।


स्टेशन डायरेक्टर बोले- बीमारी का बहाना बनाते हैं कर्मचारी

इस मामले की जांच स्टेशन डायरेक्टर हिमांशु शेखर अग्रवाल कर रहे हैं। उन्होंने शुक्रवार को महिला कर्मचारी के घर जाकर उनके बयान दर्ज किए। स्टेशन डायरेक्टर ने बताया कि कई बार अवकाश के लिए कर्मचारी बीमारी का बहाना बनाते हैं। जी-92 फार्म के लिए उन्हें ही बुलाया जाता है ताकि हकीकत पता चल जाए, लेकिन यह नियम गंभीर मरीजों के लिए नहीं है। रेलवे कर्मचारियों ने बीमार महिला कर्मचारी के प्रति क्या लापरवाही बरती, इसकी जांच हो रही है। दोनों सीआरएस के भी बयान लिए गए हैं। शनिवार को अस्पताल प्रबंधन से पूछताछ कर अंतिम रिपोर्ट तैयार की जाएगी। कर्मचारियों की लापरवाही पर उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई होगी।


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क्लर्क सुष्मिता दास

सूत्रों के मुताबिक, छुट्टी का फॉर्म लेने के लिए मरीज के खुद कार्यालय आने की अनिवार्यता थी। इस नियम की वजह से अस्पताल में भर्ती महिला कर्मचारी को छुट्टी का फॉर्म लेने के लिए हाथ में ड्रिप लगे होने के बावजूद सेंट्रल स्टेशन आना पड़ा। इसकी चर्चा के बाद मची खलबली के बीच स्टेशन डायरेक्टर ने शुक्रवार को महिला कर्मचारी के घर जाकर उनका बयान लिया।


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सूत्रों ने बताया कि इटावा स्टेशन में आरक्षण केंद्र में बतौर क्लर्क तैनात सुष्मिता दास की सोमवार को कार्यालय में ही डिहाईड्रेशन की वजह से तबीयत खराब हो गई। जिसकी वजह से उन्हें लोको अस्पताल में भर्ती कराया गया। सूत्रों के मुताबिक, उचित इलाज के लिए महिला कर्मचारी को एक और दिन की जरूरत थी। यानि मंगलवार के अवकाश के लिए जी-92 फॉर्म भरना जरूरी था।


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ऐसे में महिला कर्मचारी सुष्मिता दास ने अपने टीटीई पति चंचल को कहा। चंचल ने सहकर्मी टीटीई संजय बिष्ट और संदीप मैसी को फार्म लेने भेजा। आरोप है कि चीफ रिजर्वेशन सुपरवाइजर (सीआरएस) गोपाल उमराव स्टेशन डायरेक्टर कार्यालय गए थे। वहां मौजूद दूसरे सीआरएस भवानी प्रसाद ने उन्हें फार्म नहीं दिया और बीमार को स्वयं आने के लिए कहा। ऐसे में सुष्मिता को हाथों में ड्रिप लगी होने के बावजूद खुद आना पड़ा।


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