सम्भल (Sambhal) चंदौसी में पेशी से लौटते वक्त दिनदहाड़े दो सिपाहियों (Constables) की जघन्य हत्या और तीन कैदियों के फरार होने की बारदात को फ़िल्मी अंदाज में अंजाम दिया गया था. आईजी रमित शर्मा और वैन में मौजूद साथी कैदियों ने बताया कि आरोपी शकील, कमल और धर्मपाल के पास पहले से ही मिर्ची पाउडर और तमंचे मौजूद थे. उन्होंने वैन में मौजूद पुलिसवालों और अन्य कैदियों की आंखों में मिर्ची पाउडर झोंक दी और फिर तमंचे से गोली मारकर एक राइफल लेकर जंगल की तरफ भाग गए.

कहाँ से मिला मिर्ची पाउडर और तमंचा
मामले के खुलासे के बाद सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि आखिर कैदियों के पास मिर्ची पाउडर और तमंचे कहां से आये. वैन में मौजूद एक कैदी नाजिर ने बताया कि बुधवार 4 बजे की घटना है. वैन सभी कैदियों को लेकर चंदौसी से मुरादाबाद जा रही थी. तभी पीछे की तरफ बैठे कैदी शकील, कमल और धर्मपाल ने मिर्ची पाउडर फेंक दी और गोली चलाने लगे. इसके बाद सभी कैदी सेटों के नीचे दुबक गए. तीनों ने वैन का ताला नहीं तोड़ा बल्कि चैनल को तोड़कर फरार हो गए.

वहीं इस मामले पर आईजी जोन रमित शर्मा ने बताया कि वैन में कुल 24 कैदी सवार थे. इसके अलावा ड्राइवर समेत एक सब इंस्पेक्टर और दो सिपाही भी मौजूद थे. आरोपियों ने मिर्ची पाउडर आंखों में झोंककर घटना को अंजाम दिया. इस दौरान हमारे दो सिअफियों हरेंद्र और ब्रजपाल ने उनका मुकाबला किया, लेकिन उनकी गोली का शिकार हो गए. आईजी के मुताबिक इलाके की सघन तलाशी ली जा रही है. साथ कई टीमों को उनकी गिरफ़्तारी के लिए लगाया गया है.
छह की जगह वाहन में तैनात रहे सिर्फ पांच पुलिस कर्मी
कैदी वाहन की सुरक्षा में कम से कम छह पुलिस कर्मियों को तैनात करने का प्रावधान है. चालक समेत दो पुलिस कर्मी वाहन के आगे की सीट पर बैठते हैं. चार पुलिस कर्मियों को पीछे बैठने का नियम है. जिस कैदी वाहन पर हमला बोला गया, उसमें पीछे की सीट पर सिर्फ दो पुलिस कर्मी ही तैनात थे. इससे भी पुलिस की लापरवाही का पता चलता है.

तो शटर फैला कर भाग गए तीनों कैदी
प्राथमिक छानबीन में पता चला है कि वाहन का शटर फैला कर तीनों कैदी फरार हुए. यदि यह सच है तो इसमें आरआइएमटी ने चूक की. आरआइएमटी का दायित्व है कि वह कैदी वाहन की सुरक्षा व्यवस्था को चाक चौबंद रखें. बताया जाता है कि यदि शटर खराब था तो उसे दुरुस्त करने की जिम्मेदारी आरएआइएमटी की है.

सवालों के कटघरे में जेल प्रशासन
सम्भल में तीन कैदियों के फरार होने व उनके द्वारा दो सिपाहियों की हत्या करने के मामले में मुरादाबाद कारगार प्रशासन की लापरवाही उजागर हुई है. कारागार प्रशासन के कंधे पर कैदियों की गतिविधि पर नजर रखने व उनके छिपे मंसूबे पढऩे का भार होता है. बताया जाता है कि कारागार प्रशासन इसी आधार पर कैदियों की अलग श्रेणी भी तय करता है. संदिग्ध गतिविधि वाले कैदियों की अतिरिक्त निगरानी होती है. उनकी सूची तैयार कर पुलिस को जानकारी दी जाती है. वारदात के तौर तरीके से यह बात साफ हो गई है कि यह घटना महज इत्तेफाक नहीं, बल्कि सुनियोजित साजिश का परिणाम है. घटना की नींव मुरादाबाद जेल में रखी गई, इस आशंका से भी इन्कार नहीं किया जा सकता. पूर्व में भी मुरादाबाद जेल में हत्या की साजिश रचने का पर्दाफाश कई बार पुलिस कर चुकी है.
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