मेरठ: घूसखोर ASP को एंटी करप्शन कोर्ट ने भेजा जेल, 13 साल से दे रहा था पुलिस को चकमा

मेरठ। करीब 13 साल पुराने हाथरस के एससी-एसटी एक्ट के एक मुकदमे में रिश्वत लेने के आरोप में तत्कालीन सीओ व वर्तमान में एएसपी औरेया नेपाल सिंह की जमानत अर्जी को स्पेशल जज भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम कोर्ट संख्या 2 मनजीत सिंह श्यौरान की कोर्ट ने खारिज कर दिया। सरकारी वकील सिराजुद्दीन अलवी ने बताया कि थाना हाथरस गेट हाथरस में जमीनी विवाद के चलते राजनैतिक व्यक्तियों ने डॉ. एमसी गुप्ता पर धमकी देने और एससी-एसटी एक्ट का मुकदमा दर्ज कराया गया था। इस मामले की जांच तत्कालीन सीओ नेपाल सिंह द्वारा की जा रही थी। इस फैसले के बाद ही एएसपी नेपाल सिंह को एंटी करप्शन टीम ने जेल भेज दिया।


मांगी गई थी 10 लाख रुपए रिश्वत

आरोप लगे थे कि मुकदमा खत्म करने के लिए पुलिस द्वारा 10 लाख रुपये रिश्वत की मांग की गई थी, जिसका एक चैनल द्वारा स्टिंग ऑपरेशन कर खुलासा किया गया था। आरोप था कि यह मुकदमा फर्जी था और इसे खत्म करने के लिए पैसों की मांग की जा रही थी। स्टिंग ऑपरेशन में 20 हजार रुपये की रिश्वत लेने के आरोप में सीओ नेपाल सिंह, थानाध्यक्ष केपी सिंह, पुलिस अधीक्षक धर्मवीर व बनवारी लाल सोनी, एसपी गौतम व शैतान सिंह के नाम प्रकाश में आए थे। जिसकी जांच तत्कालीन एसएसपी आगरा दिपेश जुनेजा द्वारा की गई थी।


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सरकारी वकील के अनुसार प्रथम दृष्टया मामला सही पाए जाने के बाद उपरोक्त लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। इस मामले में अभियुक्त नेपाल सिंह पुत्र पिरथी सिंह निवासी अजंता कॉलोनी गढ़ रोड, मेरठ वर्तमान में एएसपी औरेया की ओर से अदालत में जमानत प्रार्थना पत्र दिया गया, जिसकी सुनवाई स्पेशल जज भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम कोर्ट सं. 2 मनजीत सिंह श्यौरान द्वारा की गई। अभियुक्त की तरफ से तर्क दिया कि उसे झूठा फंसाया गया है। उसका इस अपराध से कोई लेना देना नही है। जिसका सरकारी वकील द्वारा विरोध किया गया कि अभियुक्त सीओ के महत्वपूर्ण पद पर तैनात था।


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अदालत ने माना कि अभियुक्त पर कानून व्यवस्था को लागू करने व निर्दोष व्यक्तियों को प्रताड़ित न करने की अहम जिम्मेदारी थी। जांच के दौरान धमकी देकर वादी से परिपोषण की मांग कर 20 हजार रुपये रिश्वत प्राप्त करने का गंभीर आरोप है। इसलिए जमानत अर्जी खारिज की जाती है।


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