कांग्रेस प्रवक्ता ने पीएम मोदी पर कसा तंज,कांग्रेस-मुक्त भारत का सपना देखना छोड़ दें

देश के 11 राज्यों में चार लोकसभा और दस विधानसभा सीटों के लिए हुए उपचुनाव के बाद वोटों की गिनती जारी है. पिछले दिनों बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कहा था कि राज्य चुनाव जीतने से बड़ा नहीं है, उपचुनाव में हारना. लेकिन सच्चाई ये है कि उपचुनाव के नतीजे सत्ताधारी पार्टी के लिए साख की लड़ाई है.

इस साल मार्च में उत्तर प्रदेश में हुए उपचुनाव में बीजेपी को बड़ा झटका लगा था. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के क्षेत्र गोरखपुर और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की इलाहाबाद में फुलपुर सीट पर बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था. बीजेपी को बिहार के अररिया में लोकसभा के उपचुनाव में भी हार झेलनी पड़ी. इस सीट पर आरजेडी को एक बार फिर से जीत मिली. 2014 के आम चुनाव में ऐतिहासिक जीत के बाद पिछले चार सालों में बीजेपी के प्रदर्शन में भारी गिरावट आई है. बीजेपी को 2014 से लेकर मार्च 2018 के बीच 23 लोकसभा उपचुनावों में से सिर्फ 4 सीटों पर जीत मिली है.

2014 के बाद से लेकर अब तक कांग्रेस को उपचुनाव में 5 लोकसभा सीटों पर जीत मिली है. इन पांच सीटों में से, कांग्रेस ने अमृतसर लोकसभा सीट को बरकरार रखा और बाकी बीजेपी की चार सीटों पर सेंध लगाई. पिछले चार सालों में किसी भी पार्टी के मुकाबले लोकसभा उपचुनाव में कांग्रेस को सबसे ज्यादा सीटों पर जीत मिली है. इसके बाद बीजेपी और तृणमूल कांग्रेस की बारी आती है. इन दोनों दलों को पिछले चार साल में उपचुनाव में चार-चार सीटों पर जीत मिली है.