राहुल के राफेल पर दावे को फ्रांस ने किया ख़ारिज, कहा- डील नहीं कर सकते सार्वजनिक

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने संसद में जिस फ्रांसीसी युद्धक विमान राफेल को हथियार बनाकर मोदी सरकार के विरुद्ध इस्तेमाल किया था वो पूरी तरह बैकफायर कर गया है. राहुल गांधी ने संसद में ताल ठोक कर राफेल खरीद में कोई गोपनीयता क्लाज न होने का दावा किया था.  दो घंटे के अंदर ही खुद फ्रांस ने साफ कर दिया कि राहुल देश को गुमराह कर रहे हैं.

 

स्पष्ट है कि अपने सबसे बड़े मुद्दे पर ही कठघरे में खड़े हुए राहुल के लिए अब विश्वसनीयता का संकट खड़ा हो सकता है. शुक्रवार को राहुल ने फ्रांसीसी राष्ट्रपति से मुलाकात का जिक्र करते हुए कहा था कि उन्होंने स्पष्ट किया कि खरीद मे कोई गोपनीयता का क्लाज नहीं था. उन्होंने तो एक कदम आगे बढ़ते हुए कहा- राष्ट्रपति ने कहा कि पूरे देश को डील की सच्चाई बता दो.

 

यूं तो संसद में ही रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने 2008 के तत्कालीन रक्षामंत्री एके एंटनी का हस्ताक्षर वाला दस्तावेज दिखाकर स्पष्ट कर दिया था कि दोनों देशों के बीच गोपनीयता का क्लाज है. लेकिन सबसे बड़ा सबूत फ्रांस से ही आया. फ्रांस विदेश मंत्रालय ने यह साफ कर दिया है कि राफेल की बिक्री को लेकर भारत के साथ जो समझौता है उसमें एक गोपनीय नियम भी है जिसका खुलासा करने से दोनो देशों के रक्षा उपकरण से जुड़ी संचालन क्षमता पर असर पड़ सकता है.

 

इससे एक बात स्पष्ट है कि राहुल गलत साबित हुए. उन्होंने सदन में गलतबयानी की. देर शाम तक फ्रांस विदेश मंत्रालय की तरफ से एक बयान आया जिसमें कहा गया है कि हमने राहुल गांधी की तरफ से भारतीय संसद में दिए गये बयान को देखा है.

 

भारत व फ्रांस वर्ष 2008 में किये गये सुरक्षा समझौते के तहत कुछ ऐसी सूचनाएं जो एक दूसरे से मिली हैं, को गोपनीय रखने को कानून तौर पर बाध्य है. यह बाध्यता 23 सितंबर, 2016 में 36 राफेल एयरक्राफ्ट व हथियार खरीदने संबंधी समझौते पर भी लागू होता है. फ्रांस के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने राष्ट्रपति मैक्रां की तरफ से भारत के एक प्रमुख समाचार पत्र को दिए गए साक्षात्कार का भी उल्लेख किया है जिसमें उन्होंने कहा था कि, अगर समझौता बेहद संवेदनशील होता है तो हम उसकी सारी जानकारी का खुलासा नहीं करते.