हिमाचल प्रदेश में मिली हार से, त्रिपुरा में घोषित नहीं करेगी मुख्यमंत्री का चेहरा

 

भाजपा ने त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किए बिना ही मैदान में उतरने का निर्णय लिया है। पार्टी की रणनीति एक चेहरे के बजाय सामूहिक नेतृत्व में चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी में है। बताया जा रहा है कि हिमाचल प्रदेश में पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री के उम्मीदवार प्रेम कुमार धूमल की हार से सबक लेते हुए पार्टी ने पूर्वोत्तर के इस अहम राज्य में सामूहिक नेतृत्व में ही उतरने का फैसला लिया है।

 

 

पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार त्रिपुरा में मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किए बिना ही भाजपा चुनावी दंगल में उतरेगी। हालांकि, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विप्लव देव का नाम मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में सबसे आगे है। सूत्र बताते हैं कि चेहरे को लेकर पार्टी ने त्रिपुरा की जनता के बीच एक सर्वे भी कराया था। इसमें सूबे के लोकप्रिय मुख्यमंत्री माणिक सरकार पर विप्लव देव का चेहरा जनता में ज्यादा लोकप्रिय नजर आ रहा था।

 

 

त्रिपुरा में सीधे-सीधे वाम दल से मुकाबला कर रही भाजपा की नजर सूबे के आदिवासी बाहुल्य इलाकों पर है। राज्य विधानसभा की 60 सीटों में से 20 सीटें आदिवासियों के लिए आरक्षित है। पिछले विधानसभा चुनाव में इन 20 आरक्षित सीटों में से 18 सीटों पर सीपीएम की जीत हुई थी तो वहीं एक सीट सीपीआई के खाते में आई थी। इसके अलावा सूबे की 15 अन्य सीटों पर आदिवासी समाज के लोगों की बड़ी तादाद है। भाजपा ने इस बार आदिवासी समाज के लोगों को अपने पाले में खींचने के लिए विशेष घेराबंदी कर रखी है।