मायावती पर मुलायम की छोटी बहू का निशाना, बोलीं- जो सम्मान पचाना नहीं जानता वो अपमान भी नहीं पचा पाता

लोकसभा चुनाव के लिए उत्तर प्रदेश में बना समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का गठबंधन पर फिलहाल ब्रेक लग है. बसपा चीफ मायावती ने मंगलवार को मीडिया को संबोधन के दौरान आकर इसकी पुष्टि कर दी है. वहीं इस खींचतान के बीच सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव ने मायावती पर निशाना साधा है.


अपर्णा यादव ने ट्वीट कर लिखा “बहुत दुःख हुआ जानकर आज #Mayawati ji का रूख #SamajwadiParty के लिए शास्त्र में कहा गया है जो सम्मान पचाना नहीं जानता वो अपमान भी नहीं पचा पाता”



मंगलवार को मीडिया संबोधित करते हुए मायावती ने कहा ” अखिलेश और डिंपल के साथ हमेशा के लिए रिश्ते बने रहने की बात कही तो दूसरी तरफ फिलहाल चुनावी राजनीति अकेले ही आगे बढ़ने की भी पुष्टि की. मायावती ने लोकसभा चुनाव में करारी हार का ठीकरा समाजवादी पार्टी पर फोड़ते हुए कहा कि उन्हें यादव वोट ही नहीं मिले.


मायावती ने कहा, ‘कन्नौज में डिंपल, बदायूं में धर्मेंद यादव और फिरोजाबार में अक्षय यादव की हार हमें सोचने पर मजबूर करती है. इनकी हार का हमें भी बहुत दुख है. साफ है कि इन यादव बाहुल्य सीटों पर भी यादव समाज का वोट एसपी को नहीं मिला. ऐसे में यह सोचने की बात है कि एसपी को बेस वोट बैंक यदि उससे छिटक गया है तो फिर उनका वोट बीएसपी को कैसे गया होगा.’ 


मायावती ने कहा, ‘अखिलेश और डिंपल मुझे बहुत इज्जत देते हैं. हमारे रिश्ते हमेशा के लिए हैं. लेकिन राजनीतिक विवशताएं हैं. लोकसभा चुनाव के नतीजे यूपी में जो उभरकर सामने आए हैं, उसमें यह दुख के साथ कहना पड़ा है कि यादव बाहुल्य सीटों पर भी एसपी को उनका वोट नहीं मिला. यादव समाज के वोट न मिलने के चलते कई महत्वपूर्ण सीटों पर भी एसपी के मजबूत उम्मीदवार हार गए. यह हमें बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करता है.


सपा सुधरी तो फिर आ जायेंगे साथ

हमारी समीक्षा में यह पाया गया कि बीएसपी जिस तरह से कैडर बेस पार्टी है. हमने बड़े लक्ष्य के साथ एसपी के साथ मिलकर काम किया है, लेकिन हमें बड़ी सफलता नहीं मिल पाई है. एसपी ने अच्छा मौका गंवा दिया है. ऐसी स्थिति में एसपी को सुधार लाने की जरूरत है. एसपी को भी बीजेपी के जातिवादी और सांप्रदायिक अभियान के खिलाफ मजबूती से लड़ने की जरूरत है. यदि मुझे लगेगा कि एसपी प्रमुख राजनीतिक कार्यों के साथ ही अपने लोगों को मिशनरी बनाने में कामयाब हो जाते हैं तो फिर हम साथ चलेंगे. यदि वह इस काम में सफल नहीं हो पाते हैं तो हमारा अकेले चलना ही बेहतर होगा.


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