भाजपा नेता का पीएम मोदी को पत्र- 500 और 2000 रुपये की नोट बंद करने की मांग

भाजपा नेता और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने दावा किया है कि यदि उनका सुझाव मान लिया जाये तो भ्रष्टाचार, अलगाववाद और नक्सलवाद जड़ से समाप्त हो जाएगा. उन्होंने 100₹ से बड़ी नोट और 10 हजार रुपये से महंगी वस्तुओं का कैश लेन-देन बंद करने, 01 लाख रुपये से महंगी संपत्ति को आधार से लिंक करने, बेनामी और आय से अधिक संपत्ति को शत-प्रतिशत जब्त करने तथा भ्रष्टाचारियों, अलगाववादियों, नक्सलियों और पत्थरबाजों को आजीवन कारावास देने का सुझाव दिया है. अश्विनी उपाध्याय ने अपने पत्र में लिखा कि..

 

माननीय प्रधानमंत्री जी, हमारे पास पुलिस है, क्राइम ब्रांच है, सीबीआई है, ईडी है और इनकम टैक्स विभाग भी है लेकिन देश के सवा सौ जिलों में से एक भी जिला आजतक न तो भ्रष्टाचार-मुक्त हुआ और न तो आगे ऐसी कोई संभावना दिखाई देती है. केंद्र और राज्यों में एक भी सरकारी विभाग ऐसा नहीं है जिसके बारे में गारंटी के साथ यह कहा जा सकें कि वह विभाग भ्रष्टाचार-मुक्त है. अब तो सुप्रीम के जज भी सार्वजनिक रूप से कहते हैं कि न्यायपालिका में भी भ्रष्टाचार है. संसद में उड़ती हुयी नोटों की गड्डियां और पैसा लेकर विधान सभा में सवाल पूंछने का मामला भी सबके सामने है. पैसे लेकर स्टिंग करना और स्टिंग द्वारा उगाही करने की घटनाएं भी किसी से छिपी नहीं है! अर्थात भारतीय लोकतंत्र का कोई भी स्तम्भ अब भ्रष्टाचार से मुक्त नहीं है.

 

ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के करप्शन परसेप्शन इंडेक्स में भारत कभी भी शीर्ष 20 देशों में शामिल नहीं हो पाया. यदि पिछले 20 साल की रैंकिंग देखें तो 1998 में हम 66वें स्थान पर, 1999 में 72वें स्थान पर, 2000 में 69वें स्थान पर, 2001 और 2002 में 71वें स्थान पर, 2003 में 83वें स्थान पर, 2004 में 90वें स्थान पर, 2005 में 88वें स्थान पर, 2006 में 70वें स्थान पर, 2007 में 72वें स्थान पर, 2008 में 85वें स्थान पर, 2009 में 84वें स्थान पर, 2010 में 87वें स्थान पर, 2011 में 95वें स्थान पर, 2012 में 94वें स्थान पर, 2013 में 87वें स्थान पर, 2014 में 85वें स्थान पर, 2015 में 76वें स्थान पर, 2016 में 79वें स्थान पर और 2017 में 81वें स्थान पर थे. इससे स्पस्ट है कि जमीनी स्तर पर भ्रष्टाचार में कोई कमी नहीं आयी है .

 

ग्लोबल हंगर इंडेक्स में हम 103वें स्थान पर, साक्षरता दर में 168वें स्थान पर, वर्ल्ड हैपिनेस इंडेक्स में 133वें स्थान पर, ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स में 130वें स्थान पर, सोशल प्रोग्रेस इंडेक्स में 93वें स्थान पर, यूथ डेवलपमेंट इंडेक्स में 134वें स्थान पर, होमलेस इंडेक्स में 8वें स्थान पर, न्यूनतम वेतन में 124वें स्थान पर, क्वालिटी ऑफ़ लाइफ इंडेक्स में 43वें स्थान पर, फाइनेंसियल डेवलपमेंट इंडेक्स में 51वें स्थान पर, रूल ऑफ़ लॉ इंडेक्स में 66वें स्थान पर, एनवायरनमेंट परफॉरमेंस इंडेक्स में 177वें स्थान पर, आत्महत्या के मामले में 43वें स्थान पर तथा पर कैपिटा जीडीपी में हम 139वें स्थान पर हैं! अंतराष्ट्रीय रैंकिंग में भारत की इस दयनीय स्थिति का मुख्य कारण भी भ्रष्टाचार है. रोटी कपड़ा मकान की समस्या, गरीबी भुखमरी कुपोषण की समस्या तथा वायु प्रदूषण जल प्रदूषण मृदा प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण की समस्या का मूल कारण भी भ्रष्टाचार है लेकिन सरकारों ने इसे समाप्त करने के लिए जरुरी कदम नहीं उठाया.

 

बार-2 सड़क टूटने का मूल कारण भ्रष्टाचार है. खस्ताहाल सरकारी स्कूल और बदहाल सरकारी अस्पताल का मूल कारण भ्रष्टाचार है. बढ़ते हुए अपराध का मुख्य कारण भ्रष्टाचार है. अदालत से अपराधियों के बरी होने का मूल कारण भ्रष्टाचार है. अलगाववाद, कट्टरवाद, नक्सलवाद और पत्थरबाजी का प्रमुख कारण भ्रष्टाचार है. सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जे का मुख्य कारण भ्रष्टाचार है. जमाखोरी, मिलावटखोरी, कालाबाजारी तथा नशा और मानव तस्करी का मूल कारण भी भ्रष्टाचार है. बढ़ते हवाला कारोबार और सट्टेबाजी का मूल कारण भी भ्रष्टाचार है. न्याय में देरी और अदालत के गलत फैसलों का मूल कारण भी भ्रष्टाचार है. यदि ध्यान से देखें तो भारत की 50% समस्याओं का मूल कारण भ्रष्टाचार है और वर्तमान कानून इसे रोकने में नाकाम हैं.

 

अंग्रेजों द्वारा 1860 में बनाई गयी भारतीय दंड संहिता, 1861 में बनाया गया पुलिस एक्ट, 1872 में बनाया गया एविडेंस एक्ट और कॉन्ट्रैक्ट एक्ट, 1882में बनाया गया प्रॉपर्टी ट्रांसफर एक्ट, 1897 में बनाया गया जनरल क्लॉज़ एक्ट तथा 1908 में बनाये गए सिविल प्रोसीजर कोड को बदले बिना भ्रष्टाचार समाप्त करना असंभव है. हमारे भ्रष्टाचार विरोधी कानून विकसित देशों की तुलना में बहुत कमजोर हैं. 1988 में बनाया गया प्रिवेंशन ऑफ़ करप्शन एक्ट और बेनामी एक्ट तथा 2002 में बनाया गया मनी लांड्रिंग एक्ट विकसित देशों की तुलना में बहुत कमजोर है. हमारे किसी भी भ्रष्टाचार विरोधी कानून में 100% संपत्ति जब्त करने और आजीवन कारावास देने का प्रावधान नहीं है इसलिए आपसे निवेदन है कि 25 साल से अधिक पुराने कानूनों को रिव्यु करने तथा भ्रष्टाचारियों, हवाला कारोबारियों, कालाबाजारियों, जमाखोरों, मिलावटखोरों, नशे के सौदागरों, मानव तस्करों तथा बेनामी संपत्ति और आय से अधिक संपत्ति रखने वालों की 100% संपत्ति जब्त करने और आजीवन कारावास देने के लिए कानून मंत्रालय को आवश्यक निर्देश दें.

 

आप तो जानते हैं कि भ्रष्टाचार हमेशा कैश में और बड़ी नोटों के माध्यम से होता है और 80% नागरिकों को 100रु से बड़ी नोट की जरुरत ही नहीं है. वैसे भी अब हर घर में कम से कम एक डेबिट कार्ड है, इसलिए भ्रष्टाचार को जड़ से समाप्त करने के लिए 100रु से बड़ी नोट बंद करने, 10 हजार रु से महँगी वस्तुओं और सेवाओं का कैश लेन-देन बंद करने तथा एक लाख रूपये से महंगी वस्तुओं और संपत्तियों को आधार से लिंक करने के लिए वित्त मंत्रालय को आवश्यक निर्देश दें. ऐसा करने से पुलिस, क्राइम ब्रांच, सीबीआई, ईडी और इनकम टैक्स विभाग का कार्य बहुत आसान हो जायेगा, राजस्व बढ़ेगा और जातिवाद संप्रदायवाद, अलगाववाद, कट्टरवाद, नक्सलवाद और पत्थरबाजी को समाप्त करने में मदद मिलेगी.

 

धन्यवाद और आभार!
अश्विनी उपाध्याय

 

बता दें, अश्विनी उपाध्याय ने समान शिक्षा, समान चिकित्सा, समान नागरिक संहिता, तीन तलाक, बहुविवाह, हलाला, मुताह, शरिया अदालत, आर्टिकल 35A, आर्टिकल 370, जनसंख्या नियंत्रण तथा चुनाव सुधार, प्रशासनिक सुधार, पुलिस सुधार, न्यायिक सुधार और शिक्षा सुधार पर सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में 50 से अधिक जनहित याचिकाएं दाखिल की हैं. इन्हें भारत का ‘पीआईएल मैन’ भी कहा जाता है.

 

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