भाजपा नेता का पीएम मोदी को पत्र- काशी, मथुरा, भद्रकाली सहित सभी विवादित धार्मिक स्थलों के समाधान के लिए न्यायिक आयोग बनाने की मांग

भाजपा नेता और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिख काशी, मथुरा, भद्रकाली सहित सभी विवादित धार्मिक स्थलों के समाधान के लिए न्यायिक आयोग बनाने की मांग की मांग की है. अपने पत्र में अश्विनी उपाध्याय ने लिखा..

 

कुरान और हदीस में स्पष्ट रूप से लिखा है कि किसी विवादित भूमि पर या दूसरे धर्मों के धार्मिक स्थलों को तोड़कर वहां मस्जिद बनाना हराम है और ऐसी मस्जिद में नमाज पढ़ना बिलकुल नाजायज है लेकिन कट्टरपंथियों को खुश करने के लिए कांग्रेस सरकार ने 1991 में एक कानून [पूजा स्‍थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम-1991] बनाकर मुगलों द्वारा मंदिरों को तोड़कर बनाई गयीं. अवैध मस्जिदों को वैध घोषित कर दिया. यह कानून बनाने से पहले किसी भी प्रकार का सर्वे, जाँच या शोध भी नहीं किया गया और जल्दबाजी में यह कानून बनाकर कांग्रेस ने विवादित धार्मिक स्थलों का बातचीत द्वारा समाधान का रास्ता भी बंद कर दिया.

 

अयोध्या में भगवान राम का मंदिर, मथुरा में भगवान कृष्ण का मंदिर, जौनपुर में अटल देव मंदिर, वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर, विदिशा में विजय मंदिर, बटना (गुजरात) में रूद्र महालय मंदिर और अहमदाबाद में भद्रकाली मंदिर के अतिरिक्त सैकड़ों अन्य हिंदू, जैन और बौद्ध मंदिर हैं, जिस पर मुगलों द्वारा अवैध रूप से बनाई गयी मस्जिदों का विवाद चल रहा था. लेकिन दोनों पक्षों से बातचीत किये बिना ही कांग्रेस ने इस कानून को 1947 से लागू कर दिया और मुगलों द्वारा बनाई गयी सभी अवैध मस्जिदों को वैध घोषित कर दिया.

 

यह कानून केवल हिंदू जैन और बौद्ध विरोधी ही नहीं है, बल्कि यह ईस्लाम के मूल भावना के भी खिलाफ है, इसलिए इस कानून को तत्काल समाप्त करना चाहिए, और विवादित धार्मिक स्थलों की जाँच के लिए सुप्रीम कोर्ट के जज की अध्यक्षता में एक आयोग बनाना चाहिए. इस आयोग में दो इतिहासकार और दो पुरातत्व विशेषज्ञ जरुर होना चाहिए जिससे यह आयोग 6 महीने के अन्दर देश के सभी विवादित स्थलों की वस्तुस्थिति पर अपनी रिपोर्ट पेश कर सके.  देश की एकता-अखंडता तथा आपसी भाईचारा मजबूत करने के लिए यह आयोग बहुत जरुरी है.

 

1991 से पहले इस तरह का कोई कानून नहीं था और चूँकि अवैध स्थानों या दूसरे के धार्मिक स्थलों को तोड़कर बनाई गई मस्जिदों में किसी भी तरह की नमाज या इबादत हराम और नाजायज है, इसलिए हिंदुओ को यह उम्मीद थी कि ऐसे अवैध मस्जिदों को मुस्लिम समाज खुद ही हिंदुओं को सौंप देगा लेकिन अब जब तक यह कानून रहेगा तब तक मुस्लिम समाज चाहकर भी मुगलों द्वारा बनाई गयी अवैध मस्जिदों को हिंदुओं को नहीं सौप सकता है, इसलिए यह कानून समाप्त करना और एक उच्चस्तरीय न्यायिक आयोग बनाना बहुत जरुरी है.

 

बता दें कि अश्विनी उपाध्याय ने समान शिक्षा, समान चिकित्सा, समान नागरिक संहिता, तीन तलाक, बहुविवाह, हलाला, मुताह, शरिया अदालत, आर्टिकल 35A, आर्टिकल 370, जनसंख्या नियंत्रण तथा चुनाव सुधार, प्रशासनिक सुधार, पुलिस सुधार, न्यायिक सुधार और शिक्षा सुधार पर सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में 50 से अधिक जनहित याचिकाएं दाखिल की हैं. इन्हें भारत का ‘पीआईएल मैन’ भी कहा जाता है.

 

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