त्रिपुरा के सीएम बिप्लब देब द्वारा पिछले दिनों बतखों के पानी में तैरने से ऑक्सीजन पैदा होने वाले बयान का शोधकर्ताओं ने समर्थन किया है. भारतीय कृषि अनुसंधान और शिक्षा परिषद के वैज्ञानिक ए. देबबर्मा ने कहा कि यह बात अध्ययन में सामने आई है कि बतख-मछली खेती एकीकृत खेती है.
Duck-fish farming is integrated farming. Ducks's excreta helps growth of fish. Ducks are natural aerators&help in increasing oxygen level&DEO can also be increased. This has been proved through studies: A Debbarma, Scientist Indian Council of Forestry Research & Education (28.08) pic.twitter.com/MdzwPCu48c
— ANI (@ANI) August 29, 2018
उन्होंने कहा कि बतखों से ही मछली के उत्सर्जन में वृद्धि होती है. बतख प्राकृतिक वायुयान है और ऑक्सीजन स्तर बढ़ाने में मदद करती है और इन्हीं से डीईओ के स्तर को भी बढ़ाया जा सकता है.
वहीं, बिप्लब देब के ओएसडी संजय मिश्रा ने कहा, ‘सीएम का बतखों के पानी में तैरने से ऑक्सीजन लेवल बढ़ने वाला बयान सही है.’ संजय मिश्रा ने छत्तीसगढ़ के इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय की एक शोध का हवाला हुए कहा है, ‘शोध में कहा गया है कि जब बतख पानी में तैरते हैं, तो वायुमंडलीय फॉस्फेट और अन्य खनिजों का निर्माण होता है जो हरी शैवाल के विकास में मदद करता है, जो पानी में ऑक्सीजन का मुख्य स्त्रोत है.’ प्राचीन काल के समय से बतखों को उस उद्देश्य के लिए उपयोगी माना जाता था. इसके वैज्ञानिक साक्ष्य भी हैं. उन्होंने कहा कि गत दिनों एक संगठन के प्रोफेसर ने शोध किया था कि जब बतख पानी में तैरते हैं, तब वह पानी की सतह को साफ करते हैं.
A research by Chhattisgarh's Indira Gandhi Agriculture University states that when ducks swim, atmospheric phosphate & other minerals are created which helps in growth of green algae, the primary source of generation of oxygen in water: Sanjay Mishra, OSD to Tripura CM (28.08) pic.twitter.com/cqRKC3K68X
— ANI (@ANI) August 29, 2018
जानें पूरा मामला
बता दें, मंगलवार को एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बिप्लब देब ने कहा था कि सरकार गावों में बतख बांटने की योजना बना रही है. त्रिपुरा की कृत्रिम झील रुद्र सागर में नौका दौड़ के आयोजन पर मुख्यमंत्री ने कहा कि वह झील के आसपास रहने वाले मछुआरों में बतख वितरत करेंगे. इसके बाद राज्य के गांवों में भी बतख वितरित की जाएंगी. उन्होंने कहा कि झील-तालाबों में बतखों के तैरने से तालाब की गंदगी तो खत्म होती ही है, साथ ही पानी में ऑक्सीजन का स्तर भी बढ़ता है.
बिप्लब कुमार देब ने कहा कि मछली, बतख तथा मुर्गी पालन ग्रामीण अर्थव्यवस्था का मुख्य अंग हैं. इनसे ना केवल किसी परिवार को अतिरिक्त प्रोटीन और विटामिन मिलते हैं, बल्कि परिवार की आमदनी में भी इजाफा होता है. उन्होंने कहा कि पिछले कुछ समय से गांवों में बतख पालन लगभग पूरी तरह से खत्म सा हो गया है.
विप्लब देव के इस बयान के बाद वे विपक्ष के निशाने पर आ गए तथा सोशल मीडिया पर उनके इस बयान को लेकर उनका काफी मजाक उड़ाया गया.
( देश और दुनिया की खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें, आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं. )