भाजपा सांसदों ने की ‘पुरुष आयोग’ की मांग, महिला आयोग बोला ‘कोई जरुरत नहीं’

भाजपा के दो सांसद पुरुष आयोग की मांग संसद में उठाने के बाद अब इस मुद्दे पर समर्थन सड़क पर उतरने की रणनीति पर काम कर रहे हैं. इसी कड़ी में 23 सितंबर को वे एक कार्यक्रम को संबोधित करेंगे. इस बीच, राष्ट्रीय महिला आयोग ने कहा कि सभी को अपनी बात रखने का हक है, लेकिन फिलहाल पुरुषों के लिए अलग से आयोग की जरूरत नहीं है.

उत्तर प्रदेश के घोसी और हरदोई से भाजपा सांसद हरिनारायण राजभर और अंशुल वर्मा ने रविवार को कहा, वे पुरुष आयोग के लिए समर्थन जुटाने की कोशिश कर रहे हैं. इसी कड़ी में 23 सितंबर को नई दिल्ली में वे एक कार्यक्रम को संबोधित करेंगे. दोनों सांसदों ने कहा, उन्होंने संसद में भी इस मुद्दे को उठाया है.

 

राजभर ने कहा, पुरुष भी पत्नियों की प्रताड़ना के शिकार होते हैं. अदालतों में इस तरह के कई मामले लंबित हैं. महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए कानून और मंच उपलब्ध हैं. लेकिन पुरुषों की समस्याओं पर अब तक ध्यान नहीं दिया गया है. राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) की तर्ज पर पुरुषों के लिए भी आयोग की जरूरत है. उन्होंने कहा, मैं यह नहीं कह रहा हूं कि प्रत्येक महिला या प्रत्येक पुरुष गलत होता है. लेकिन दोनों ही लिंगों में ऐसे लोग हैं, जो दूसरे पर अत्याचार करते हैं. इसलिए पुरुषों से जुड़ी समस्याओं को सुलझाने के लिए भी एक मंच होना चाहिए. मैंने संसद में भी इस मुद्दे को उठाया है.

 

अंशुल वर्मा ने कहा कि उन्होंने शनिवार को संसद की एक स्थायी समिति के समक्ष इस मुद्दे को रखा है, जिसके वह भी एक सदस्य हैं. उन्होंने कहा, भारतीय दंड संहिता की धारा 498 ए के दुरुपयोग को रोकने के लिए उसमें संशोधन की आवश्यकता है. यह धारा पति और उसके रिश्तेदारों द्वारा दहेज के लिए महिलाओं को परेशान किए जाने सहित उनके साथ होने वाले किसी भी तरह के अत्याचार के रोकथाम से संबंधित है. वर्मा ने दावा किया कि 498 ए पुरुषों को परेशान करने का एक हथियार बन गया है.

 

हालांकि, एनसीडब्ल्यू की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने कहा कि हर किसी को अपनी मांग रखने का अधिकार है. लेकिन मुझे नहीं लगता कि पुरुष आयोग की कोई जरूरत है.

 

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