पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने देश से जुड़ी ख़ुफ़िया सूचनाएँ लीक कर खतरे में डाल दी थीं कई जिंदगियां’, पूर्व RAW अधिकारी का सनसनीख़ेज़ आरोप

पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी पर देश से जुडी ख़ुफ़िया जानकारी लीक करने का सनसनीखेज आरोप लगा है. यह आरोप किसी और ने नहीं बल्कि खुद पूर्व रॉ (RAW) अधिकारी ने लगाए हैं. कुछ ख़ुफ़िया विभाग के कुछ अधिकारीयों ने इसे लेकर पीएम मोदी को पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने इस पूरे मामले की जांच कराये जाने और हामिद अंसारी के खिलाफ देश विरोधी गतिविधि के तहत कार्यवाई की मांग की है.


पीएम मोदी के को लिखे इस पत्र में इन अधिकारियों ने यह दावा किया है कि अपनी पोस्टिंग के दौरान अंसारी ना सिर्फ राष्ट्रहित बचाने में असफल रहे बल्कि ईरान सरकार और वहाँ की खुफिया एजेंसी ‘सवाक’ से जानकारी साझा कर रॉ के मिशन और अधिकारियों की जान खतरे में डालने की भी कोशिश की. उनके मुताबिक ‘सवाक’ द्वारा भारतीय अधिकारियों के अगवा किए जाने की चार घटनायें हुईं थीं, लेकिन हामिद अंसारी ने इस दौरान कोई कार्रवाई नहीं की और देशहित के साथ समझौता किया.


साल 2010 में रॉ से रिटायर हुये एन.के सूद (NK Sood) ने एक अखबार को बताया कि हामिद अंसारी ने तो ईरान में रॉ के केंद्र को बंद करने की सलाह दी थी. इसके साथ ही सूद ने अंसारी पर अपने कर्तव्यों को सहीं से नहीं निभाने का आरोप लगाया. सूद ने कहा कि मई 1991 में एक भारतीय अधिकारी संदीप कपूर को तेहरान एयरपोर्ट पर ईरान की खूफिया एजेंसी सवाक ने अगवा कर लिया था. जब यह मामला हामिद अंसारी के सामने लाया गया तो उन्होंने इस पर ध्यान नहीं दिया. सूद के मुताबिक अंसारी ने इस मामले पर कोई कार्रवाई नहीं कि लेकिन उन्होने विदेश मंत्रालय को एक गुप्त रिपोर्ट भेज दी जिसमे यह लिखा था कि कपूर कई दिनों से गायब है और ईरान में उसकी हरकतों की वजह से वह संदेह के घेरे में भी है. अंसारी ने रिपोर्ट में जानबूझ कर यह नहीं लिखा कि रॉ पहले इस घटना का रिपोर्ट कर चुका है.


तीन दिन बाद एक अज्ञात कॉल से पता चला कि कपूर किसी इलाके में सड़क के किनारे पड़े है. उन्हे कई प्रकार की नशीली दवाईयां देकर बेहोश किया गया था जिसका प्रभाव कपूर पर कई सालों तक रहा. रॉ ने इन मामलो को लेकर अंसारी को ईरान सरकार और वहाँ की विदेश मंत्रालय को रिपोर्ट करने का सुझाव दिया था लेकिन हामिद ने यहां कोई भी कदम नहीं उठाया.


पूर्व रॉ अधिकारी ने बताया कि अगस्त 1991 में रॉ उन कश्मीरी युवकों पर नज़र रख रहा था जो ईरान के एक धार्मिक केंद्र में जाकर हथियारों की ट्रेनिंग लेते थे. उस समय तेहरान में नियुक्त रॉ के नए केंद्र प्रमुख ने इस ऑपरेशन की जानकारी हामिद अंसारी से साझा की थी. इसके बाद अंसारी ने ईरान के विदेश मंत्रालय को यह खुफिया जानकारी दे दी कि इस ऑपरेशन पर डीबी माथुर नाम का अधिकारी काम कर रहा है. ईरान के विदेश मंत्रालय से यह जानकारी ईरान की खुफिया एजेंसी सवाक तक पहुँच गई और इसके बाद डीबी माथुर को भारतीय दूतावास आते समय अपहरण कर लिया गया. ये सभी घटनाएं प्रधानमंत्री को भेजे गए पत्र में बताई गई हैं.


एन.के सूद ने बताया कि डीबी माथुर के अगवा होने की सूचना पर भी हामिद अंसारी द्वारा कोई कदम नहीं उठाया गया. जैसे-तैसे इस मामलें को दूसरे दिन रॉ के अधिकारियों ने अटल बिहारी वाजपेयी को बताया और फिर उन्होने इस मामले की जानकारी तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव से साझा की, और फिर डीबी माथुर को एविन जेल से रिहा कराने के लिए कदम उठाए गए. जब माथुर रिहा हो कर आए तब उन्होनें बताया की एनके सूद सहित रॉ के सभी अधिकारियों की जानकारी ‘सवाक’ के पास मौजूद है. प्रधानमंत्री को लिखे शिकायती पत्र में यह भी लिखा गया था कि हो सकता है कि उस समय अंसारी ने ही सभी खुफिया जानकारियों को ईरानी विदेश मंत्रालय के साथ साझा किया हो.


जानकारी के लिए बता दें कि इन सभी घटनाओं की जानकारी रॉ के अधिकारी श्री आर के यादव ने अपनी पुस्तक ‘मिशन रॉ’ में दी है. एक और घटना का उल्लेख करते हुए सूद ने कहा कि रॉ के तत्कालीन तेहरान केंद्र के प्रमूख पीके वेणुगोपाल को सवाक द्वारा पीटा जाना रॉ के लिए बेहद शर्मनाक था. सवाक ने उन्हे एक ईरानी महिला के साथ घूमते समय अपहरण कर लिया था. अंसारी ने इस घटना के विरूद्ध भी ईरानी सरकार को अपना विरोध नहीं जताया, और उल्टा भारत सरकार से ही वेणुगोपाल को वापस भारत बुलाने की मांग कर डाली. इसके बाद वेणुगोपाल को उसकी सभी सेवाओं से मुक्त कर दिया गया. वेणुगोपाल को जिस महिला के साथ घूमते हुए अगवा किया गया था, उस महिला ने वेणुगोपाल से मिलने के लिय भारतीय वीजा दी थी. इसके खिलाफ रॉ ने आपत्ति भी जताई थी, इसके बावजूद भी अंसारी ने उस महिला को वीजा दिलवाया था.


पीएम मोदी को लिखे पत्र में यह भी कहा गया है कि कैसे काल्पनिक भारतीय विश्वविद्यालयों के आधार पर भारतीय दूतावास के द्वारा ईरानी छात्रों को भारतीय वीजा 500$ में दिया जा रहा था, जिसे अंसारी ने दबा कर रखा था. एन.के सूद और उनके सहयोगी अधिकारियों ने इन सभी घटनाओं पर पीएम मोदी से विस्तृत जांच की मांग की है ताकि ईरान और खाड़ी के दूसरे देशों में रॉ के मिशन को क्षति पहुंचाने में हामिद अंसारी की भूमिका का पता लगाया जा सकें. इन सभी घटनाओं में जो ध्यान देने लायक बात हैं वो ये कि वर्ष 1990 में पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ईरान की राजधानी तेहरान में भारतीय एंबेसडर की हैसियत से तैनात थे, और रॉ के पूर्व अधिकारियों के अनुसार वहां तैनाती के दौरान उन्होंने जमकर देशहित के खिलाफ काम किया. बता दें कि इन अधिकारियों ने प्रधानमंत्री से पहली बार अगस्त 2017 में अंसारी के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की थी.


बता दें कि पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी का विवादों से पुराना नाता रहा है. अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने शरिया लॉ का समर्थन किया था जिसके बाद उनकी खूब आलोचना हुई थी. अपना कार्यकाल पूरा करने के ठीक बाद उन्होंने एक मुसलमान के रूप में खुद को देश में असुरक्षित बताया था. हामिद अंसारी विवादित संगठन पीएफआई का मंच साझा करके भी विवादों में आ गए थे. साल 2018 में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में जिन्ना का पोस्टर लगाने की वकालत करके भी पूर्व उपरष्ट्रपति को आलोचनाओं का शिकार होना पड़ा था.


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