1500 किसानों का बकाया 12 करोड़, बोले- स्टेच्यू ऑफ यूनिटी के उद्घाटन पर नर्मदा में कूदकर दे देंगे जान

3000 करोड़ की लागत से 1000 मजदूरों ने मिलकर करीब 44 महीनों में सरदार वल्लभभाई पटेल की 182 मीटर ऊंची मूर्ति बनाई। इस मूर्ति को बनाने में 800 स्थानीय और 200 चीन से आए कारीगरों ने काम किया है। अब इस मूर्ति का उद्घाटन पीएम मोदी 31 अक्टूबर को करने वाले हैं। लेकिन इस मूर्ति के उद्घाटन के दौरान नर्मदा नदी में डूबकर किसानों ने जान देने की धमकी दे डाली है।

 

1500 किसानों का बकाया है 12 करोड़ रूपए

जनसत्ता वेबसाइट पर छपी खबर के मुताबिक, केवडिया कॉलोनी से लगभग 60 किमी दूर जहां स्टेच्यू ऑफ यूनिटी का अनावरण किया जाना है, गुजरात के सनखेडा में सरदार चीनी मिल के परिसर में सरदार वल्लभ भाई पटेल की मूर्ति लंबी-लंबी घासों से घिरी है।

 

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खबर के मुताबिक, यहां 11 साल पहले को-ऑपरेटिव के माध्यम से चीनी मिल चलाया जाता था। लेकिन इसके बोर्ड मेंबर के द्वारा की गई आर्थिक गड़बड़ी की वजह से यह चीनी मिल बंद हो गया। खबर के मुताबिक, चार जिले छोटा उदेपुर, पंचमहल, वडोदरा और नर्मदा के 1500 किसानों ने 2.62 लाख टन गन्ना इस चीनी मिल को बेचा था। जिसका 12 करोड़ बकाया आज तक इन किसानों को नहीं मिल पाया है।

 

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ऐसे में अब इन किसानों ने इस मूर्ति के उद्घाटन के दौरान विरोध जताने का मन बना लिया है। इन किसानों ने खुली चुनौती दी है कि अगर उनका बकाया रूपया नहीं मिला तो 31 अक्टूबर को पीएम मोदी जब इस मूर्ति का अनावरण करेंगे, उसी दौरान किसान नर्मदा में कूदकर जान दे देंगे।

 

किसानों के लिए मूर्ति का कोई मतलब नहीं। 

एक किसान का यहां तक कहना है कि सरकार की उदासीनता की वजह से किसानों को आर्थिक समस्या हो रही है। उनका कहना है कि ऐसे में हमारे लिए इस मूर्ति का कोई मतलब नहीं है।

 

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इस मामले की जानकारी देते हुए को-ऑपरेटिव मिल के पूर्व एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर कंचन पटेल ने बताया कि फैक्ट्री एक महत्वकांक्षी परियोजना थी। उनका कहना है कि शुरुआती दिनों में व्यवसाय काफी अच्छा चला और मुनाफा भी हुआ। उन्होंने बताया कि बाद में कुछ फैसलों की वजह से मामला उल्टा पड़ गया। बता दें कि कंचन पटेल बीजेपी के सदस्य और बोदेली के अलीखेरव गांव के सरपंच है।

 

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