माया के झटके के बाद मुलायम ने संभाला मोर्चा- अखिलेश-शिवपाल से करेंगे गुप्त बैठक, यादव कुनबे को एकजुट करने की कवायद

लोकसभा चुनाव में करारी हार और गठबंधन के साथी बसपा के द्वारा हाथ छिटकने के बाद सामाजवादी पार्टी की डूबती नैया की रक्षा के लिए संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने अब खुद मोर्चा संभाल लिया है. मुलायम की कोशिश बिखरे यादव कुनबे को फिर से एक साथ जोड़ने की रहेगी. इसी क्रम में सैफई में मुलायम सिंह यादव ने परिवार और पार्टी नेताओं की एक गोपनीय बैठक बुलाई है, जिसमे शिवपाल भी शामिल हो सकते हैं.


हालांकि इटावा में जब शिवपाल यादव से इस बाबत पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वे कोई भी बयान मीटिंग के बाद देंगे. मायावती के आरोपों और परिवार के दोबारा एक होने के सवालों से भी उन्होंने किनारा किया और कुछ भी स्पष्ट नहीं बोला. उन्होंने कहा कि अपनी पार्टी की मीटिंग कर लेंगे उसके बाद कुछ बयान देंगे. इस बीच गुरुवार को शिवपाल ने अपने आवास पर कार्यकर्ताओं से भी मुलाकात की और अपने खास सलाहकारों के साथ गोपनीय बैठक भी की.


मुलायम से लेकर अखिलेश तक एसपी के साथ निष्ठा बनाए रखने वाले एक वरिष्ठ नेता का कहना है परिवार की एकजुटता वक्त की जरूरत है. लगातार तीन बड़ी हार के बाद पार्टी अब अपने सबसे बुरे दौर में है. इसलिए आपसी मतभेद भुलाकर सबको साथ चलना होगा. मुलायम इसके लिए कोशिश भी कर रहे हैं. लेकिन अखिलेश और शिवपाल इसको लेकर अभी बहुत सहज नहीं है. सूत्रों का कहना है कि जब शिवपाल एसपी छोड़कर गए थे तो अखिलेश की सियासी स्थिति बहुत मजबूत थी.


क्या हैं शिवपाल की वापसी में अड़चने ?

विधानसभा के बाद लोकसभा में भी करारी हार के बाद अखिलेश पार्टी के अंदर और बाहर दोनों ओर से निशाने पर हैं. ऐसी स्थिति में शिवपाल की वापसी अखिलेश के कमजोर होने और उनके पहले के फैसले को गलत होने पर मुहर के तौर पर मानी जाएगी. दूसरे, अखिलेश इस समय एसपी के सर्वेसर्वा हैं, शिवपाल के आने के बाद उनके भी ‘सहअस्तित्व’ को स्वीकार करना होगा. इसलिए तमाम नफा के तर्कों के बाद अखिलेश खेमा शिवपाल की वापसी में ‘नुकसान’ ही देख रहा है. दूसरी ओर शिवपाल खेमा भी वापसी की कवायद को केवल अफवाह बता रहा है. उसका कहना है कि हम आगे की चुनावी तैयारियों की रणनीति बना रहे हैं. सम्मानजनक वापसी का कोई प्रस्ताव आएगा तब सोचेंगे.


अलग-अलग उपचुनाव लड़ेगी सपा-बसपा

लोकसभा चुनावों में करारी हार के बाद सपा-बसपा-रालोद का गठबंधन टूट चुका है. मायावती और अखिलेश के रास्ते अलग-अलग हो चुके हैं. मायावती ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में गठबंधन छोड़ने का एलान किया वहीं इस पर अखिलेश ने कहा कि कई बार प्रयोग असफल भी हो जाते हैं. समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी विधानसभा की 11 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में अलग-अलग चुनाव मैदान में उतरेंगे.


एसपी के राष्ट्रीय सचिव राजेंद्र चौधरी का कहना है, ‘कार्यकर्ताओं ने संकल्प लिया है कि वे अखिलेश यादव को सन् 2022 में मुख्यमंत्री बनाने के लिए जनता के बीच जाएंगे और सघन अभियान चलाएंगे. इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए घर-घर जाएगें.’ एसपी की इस साफगोई से साफ है कि गठबंधन अपनी परिणति को प्राप्त कर चुका है. क्योंकि, मायावती के अनुसार अखिलेश उन्हें अपना ‘आदर्श’ मानते हैं, ऐसे में माया अपने ‘अनुयायी’ के लिए रास्ता बनाने से रहीं.


Also Read: अखिलेश के ‘दुलरुआ’ फ्रैंक हुजूर की दबंगई, नहीं खाली कर रहे सरकारी बंगला


( देश और दुनिया की खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें, आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं. )