समाजवादी पार्टी की प्रवक्ता पंखुड़ी पाठक ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने ट्विटर पर इस बात का एलान किया है. उन्होंने पार्टी के नेतृत्व को इसके लिए जिम्मेदार बताया है और कहा है कि वे हताश होकर पार्टी छोड़ रही हैं.
उन्होंने लिखा है,”भारी मन से सभी साथियों को सूचित करना चाहती हूं कि समाजवादी पार्टी के साथ अपना सफ़र मैं अंत कर रही हूँ. 8 साल पहले विचारधारा व युवा नेतृत्व से प्रभावित हो कर मैं इस पार्टी से जुड़ी थी लेकिन आज ना वह विचारधारा दिखती है ना वह नेतृत्व. जिस तरह की राजनीति चल रही है उसमें अब दम घुटता है.”
इसके बाद पंखुड़ी पाठक ने ट्वीट करके कहा है कि 8 साल पहले वह सपा की विचारधारा व युवा नेतृत्व से प्रभावित होकर मैं इस पार्टी से जुड़ी थीं. लेकिन, आज न वह विचारधारा दिखती है और न ही वह नेतृत्व. जिस तरह की राजनीति चलती है, उसमें दम घुटता है.
वह लिखती हैं, ‘कभी जाति और कभी धर्म तो कभी लिंग को लेकर जिस तरह की अभद्र टिप्पणियां की जाती है, पर पार्टी नेतृत्व सब कुछ जानकर भी शांत रहता है. यह दिखता है कि नेतृत्व ने भी इस स्तर की राजनीति को स्वीकार कर लिया है. ऐसे माहौल में अपने स्वाभिमान के समझौता करके पार्टी में बने रहना मुमकिन नहीं रह गया
हो सकता है लखनऊ के कुछ वरिष्ठ नेताओं से सम्बन्धों के कारण आपको बस उनका version मिला हो । लेकिन सपा से अपने वैचारिक मतभेद को मैं काफ़ी समय से सोशल मीडिया पर उठा रही हूँ । राष्ट्रीय अध्यक्ष जी द्वारा अपने FB id से ब्राह्मण विरोधी पोस्ट share करने पर मैंने कड़ी आपत्ति जताई थी। https://t.co/19cARPvF62
— Pankhuri Pathak पंखुड़ी पाठक پنکھڑی (@pankhuripathak) August 28, 2018
ब्राह्मण होने की चुकानी पड़ी कीमत
एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में पंखुड़ी पाठक ने बताया कि पार्टी में जातिवाद बहुत अधिक बढ़ गया था. और शायद ब्राहमण होने की कीमत उन्हें चुकानी पड़ी. उन्हें पार्टी की एक्टिविटीज में ठीक से काम करने नहीं दिया जाता था. पार्टी के आंतरिक व्हाट्सएप ग्रुप्स और अन्य सोशल मीडिया उनके खिलाफ लिखा गया जिसके कारण वे बेहद आहत थीं. पंखुड़ी ने इसकी शिकायत अध्यक्ष अखिलेश यादव से भी की लेकिन कुछ भी नहीं बदला जिसके चलते पंखुड़ी को आखिरकर इस्तीफ़ा देना पड़ा.
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