बदल गयी है लोकसभा की पहली पंक्ति, ऐसे तय होता है कि कौन सांसद कहां बैठेगा, जानिए सिटिंग फार्मूला

लोकसभा सदन में आगे की सीटों का आवंटन हमेशा ही हर पार्टी और वरिष्ठ नेताओं के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न रहा है. सदन में बैठने की व्यवस्था के लिए निश्चित फार्मूला है इसी के तहत तय होता है कि किस पंक्ति में किस पार्टी के कितने लोग बैठेंगे. लोकसभा की प्रतिष्ठित पहली पंक्ति में अबतक का सबसे बड़ा बदलाव होने वाला है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पांच वरिष्ठतम सांसदों के फिर से सदन में वापस न आने के चलते इन गर्मियों में संसद का सीटिंग प्लान पूरी तरह से बदल जाएगा.


वैसे सदन में बैठने की व्यवस्था के लिए निश्चित फार्मूला है इसी के तहत तय होता है कि किस पंक्ति में किस पार्टी के कितने लोग बैठेंगे. फार्मूला तय होने के बावजूद 2014 में कांग्रेस ने अपने लिए पहली पंक्ति में निश्चित सीटों के अलावा दो और सीटें मांगी थी तब उसके 44 सांसद चुने गए थे इस बार कांग्रेस के 52 सदस्य हैं ऐसे में यह मुद्दा फिर उठ सकता है.अगर कोई पूर्व प्रधानमंत्री फिर से सदन में सांसद के तौर पर चुना गया है तो बतौर शिष्टाचार उसके भी बैठने की जगह पहली ही पंक्ति में रखी जाती है. इस बार पहली पंक्ति में बीजेपी के वरिष्ठ नेता दिख सकते हैं जिनमें अमित शाह, राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी और सदानंद गौड़ा शामिल हैं.


ये नेता चुनाव हारकर लोकसभा से हुए बाहर

पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा, पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, सदन में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और लालकृष्ण आडवाणी ऐसे नेता हैं जो इस बार लोकसभा में चुनकर नहीं आए. ऐसे में 17वीं लोकसभा में पहली पंक्ति की इनकी सीटें खाली हो जाएंगी. इनके अलावा एआईडीएमके के नेता एम थंबीदुरई भी होंगे जो पहली पंक्ति की अपनी सीट खो देंगे. इनमें से देवेगौड़ा, खड़गे और एम थंबीदुरई अपना चुनाव हार गए हैं. जबकि स्वराज और आडवाणी ने चुनाव ही नहीं लड़ा था.


यह हैं कुछ जरुरी तथ्य

भारतीय संविधान के अनुसार सदन में सांसदों की संख्या अधिकतम 552 तक हो सकती है जिनमें से 530 सदस्य अलग-अलग राज्यों से होते हैं. 20 सदस्य तक भारत के केंद्र शासित प्रदेशों से हो सकते हैं इसके अलावा 2 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा नामित निर्धारित की गई है. वर्तमान में सदन की संख्या 545 है. लोकसभा चैम्बर में सीटों की संख्या 550 है. सीटों को 6 ब्लॉक में बांटा गया है. प्रत्येक ब्लॉक में 11 पंक्तियां हैं. स्पीकर के दायीं ओर (सीधी ओर) ब्लॉक नंबर 1 और बायीं ओर (उल्टे ओर) जो पंक्तियां हैं उनमें 97-97 सीटें हैं और बाकी के बचे 4 बलॉक्स में 89-89 सीटें हैं. 1 सीट लोकसभा के प्रत्येक सदस्य और मंत्री को दी जाती है.


यह है बैठने की व्‍यवस्‍था

स्पीकर की दायीं ओर की कुर्सियों पर सत्तारूढ़ दल के सदस्य बैठते हैं. बायीं ओर विपक्ष के सदस्य बैठते हैं. लोकसभा का उप-सभापति बायीं ओर पहली पंक्ति वाली सीट पर बैठता है. सभापति के सबसे आगे एक टेबल पर लोकसभा सचिवालय के अधिकारी बैठते हैं जो दिन भर की कार्यवाही के दौरान सब कुछ रिकॉर्ड करते हैं.”Rules of Procedure and Conduct of Business” के नियम 4 के मुताबिक लोकसभा स्पीकर तय करता है कि कौन कहां बैठेगा. स्पीकर किसी भी पार्टी की लोकसभा में सीटों के आधार उनके बैठने की जगह तय कर सकते हैं.


ऐसे बांटी जाती हैं सीटें

  • जिस पार्टी के पास 5 या उससे ज्यादा सीटें हैं उनके लिए निम्न फ़ॉर्मूले के आधार पर सीटों का बांटा जाता है.
  • पार्टी या गठबंधन के पास सीटों की संख्या को उस पंक्ति में कुल सीटों की संख्या से गुणा करेंगे. फिर जो भी संख्या आएगी उन्हें लोकसभा सीटों की कुल संख्या से भाग दे देंगे.
  • जिस पार्टी के पास 5 या उससे ज्यादा सीटें हैं उनके लिए निम्न फ़ॉर्मूले के आधार पर सीटों का बंटवारा किया जाता है

हर पंक्ति में पार्टी के लिए सीटों की संख्या= पार्टी या गठबंधन के पास सीटों की संख्या X उस पंक्ति में कुल सीटों की संख्या. यदि हम सबसे आगे की पंक्ति (front row) में बीजेपी के लिए आवंटित सीटों की संख्या निकालना चाहें तो..


मान लीजिये कि लोक सभा में बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के पास कुल 353 सदस्य हैं और सभी ब्लॉक्स में फ्रंट सीटों की संख्या 20 है तो NDA सदस्यों के लिए फ्रंट सीटों की संख्या होगी; = 353 x 20/ 550 =12.83, अतः पहली पंक्ति में मौजूद 20 सीटों में से 13 सीटों पर NDA के सदस्य बैठेंगे. इसी फ़ॉर्मूले के आधार पर कांग्रेस को उसके 52 सदस्यों में से कुछ को पहली पंक्ति में सीटें आवंटित की जायेगीं. अर्थात कांग्रेस को पहली पंक्ति में (52 x 20 /550 =1.89) दो सीटें आवंटित की जाएंगी.


यानी कि एनडीए को सभी छह ब्लॉक को मिलाकर पहली पंक्ति में उपलब्ध कुल 20 सीटों में से 13 सीटें मिलेंगी. कांग्रेस के 2 सदस्य सबसे पहली पंक्ति में बैठ पाएंगे. इसी तरह अन्य दलों और अन्य पंक्तियों के लिए भी गणना की जाती है , इसके बाद संबंधित पार्टियां बताती है कि उसका कौन सा सदस्य कौन सी पंक्ति में किसी पर बैठेगा उसके आधार पर सीट आवंटित करते हैं.


वरिष्ठ नेताओं की सीट स्पीकर के विवेक से

वरिष्ठ सदस्यों, पांच सदस्यों कम सदस्यों वाली पार्टी और निर्दलीय सदस्यों के लिए सीट आवंटन तय करने का अधिकार स्पीकर को है. आमतौर पर यह देखा जाता है कि उक्त सदस्य की सदन में वरिष्ठता कितनी है उसकी जनमानस में कितनी पैठ है? यही कारण है कि 2004 में एचडी देवगौड़ा और मुलायम सिंह यादव सरीखे नेताओं को सबसे पहली पंक्ति में सीट आवंटित की गई थी जबकि उनके सांसदों की संख्या पर्याप्त नहीं थी.


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