सवर्णों के 10 % आरक्षण में से 5% मुसलमानों को दो, उनके पास 5 गज जमीन तक नहीं, उनका हक़ ज्यादा बनता: आजम खान

मोदी सरकार द्वारा सवर्णों के लिए 10 फ़ीसदी आरक्षण के फैसले पर सपा वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री आजम खान ने मुसलमानों को लेकर सवाल उठाया है. उन्होंने आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों के लिए प्रस्तावित 10 फ़ीसदी आरक्षण में से 5 फीसदी मुसलमानों को देने की मांग की है. उन्होंने कहा कि ‘मुस्लिमों के पास 5 ग़ज़ जमीन भी नहीं है इसलिए उनका हक़ सबसे ज़्यादा बनता है.’

 

आजम खान ने कहा, ‘अगर इस संवैधनिक बदलाव में देश की दूसरी बड़ी आबादी के बारे में विचार नहीं ही रह है तो इस आरक्षण का मतलब क्या है? ये फिर एक बार चुनाव के वक्त कम्युनल कार्ड खेला जा रहा है. अगर ये कोई स्ट्रोक नही है हमारी मांग है कि एक्ट में हमारे लिए भी प्रवधान दिया जाए हमे 5% दिया जाए.’

 

सपा नेता ने कहा कि अगर आरक्षण देना था तो शुरू में देते अब तो वक्त गुज़र गया. हमें भी आरक्षण दिया जाए हमारी हालात दलितों से बदत्तर है. हमने मांग की है हमें दलितों की कैटगरी में रख दिया जाए.

 

बता दें कि केंद्र सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों के लिए 10 फ़ीसदी आरक्षण की मंजूरी दे दी है. सरकार इसके लिए जल्द ही संविधान में बदलाव करेगी. इसके लिए संविधान के अनुच्छेद 15 और अनुच्छेद 16 में बदलाव किया जाएगा. दोनों अनुच्छेद में बदलाव कर आर्थिक आधार पर आरक्षण देने का रास्ता साफ हो जाएगा.

 

वहीं सरकार के इस फैसले को बसपा सुप्रीमों मायावती और आम आदमी पार्टी संयोजक अरविन्द केजरीवाल ने एक चुनावी स्टंट करार दिया है. हालांकि दोनों ही पार्टियों ने इस बिल पर सदन में अपना समर्थन देने का एलान भी किया है. इससे पहले इस फैसले पर AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने ने कहा कि आरक्षण दलितों के साथ ऐतिहासिक अन्याय को सही करने के लिए है. गरीबी मिटाने के लिए कोई भी कई योजनाएं चलाई जा सकती हैं, लेकिन आरक्षण न्याय के लिए बना है. संविधान आर्थिक आधार पर आरक्षण की अनुमति नहीं देता है.

 

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