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सुप्रीम कोर्ट से अतीक अहमद को बड़ा झटका, बरेली से गुजरात जेल किया ट्रांसफर, CBI जांच के आदेश

Mafia Atique Ahmed

जेल में बंद पूर्व सांसद और बाहुबली अतीक अहमद को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें उत्तर प्रदेश की नैनी जेल से गुजरात जेल ट्रांसफर करने का आदेश दिया है. अतीक अहमद और उनके सहयोगियों द्वारा व्यापारी के अपहरण और उन्हें प्रताड़ित किए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए सीबीआई को जांच के निर्देश दिए हैं. इसके साथ ही मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने अहमद को यूपी की जेल से गुजरात जेल में भेजने को कहा है.


बाहुबली अतीक अहमद पर आरोप है कि उन्होंने देवरिया जेल में बंद रहते उनके इशारे पर गुर्गों ने आलमबाग के रियल एस्टेट कारोबारी मोहित जायसवाल को 26 दिसंबर को उनकी गाड़ी समेत घर से अगवा कर लिया था.


आरोप है कि मोहित को देवरिया जेल में ले जाकर बैरक में पीटा और कनपटी पर पिस्टल सटाकर उनकी पांच कंपनियों का मालिकाना हक दो युवकों के नाम ट्रांसफर करवा लिया था, इसके बाद जान से मारने की धमकी देकर भगा दिया और गाड़ी भी छीन ली गई. इसके बाद कारोबारी कृष्णानगर कोतवाली पहुंचा और अतीक अहमद, उनके बेटे उमर समेत 12 लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवाई. मामला सामने आने के बाद शासन प्रशासन में हड़कंप मच गया था. इसके बाद अतीक को बरेली जेल भेज दिया गया था.


वहीं हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार ने माफिया अतीक अहमद को स्वास्थ्य कारणों के आधार पर चुनाव आयोग की अनुमति लेकर बरेली से नैनी(प्रयागराज) जेल स्थानांतरित कर दिया था. चुनाव प्रक्रिया के दौरान अतीक को तब नैनी जेल स्थानांतरित किया गया, जबकि यह सभी जानते हैं कि अतीक का कार्यक्षेत्र प्रयागराज ही है.


दरअसल, वरिष्ठ अधिवक्ता औरभाजपा नेता अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर एक याचिका पर उच्चतम न्यायालय ने ये आदेश जारी किए थे. याचिका में दोषी राजनेताओं पर आजीवन चुनाव लडने पर पाबंदी की मांग की गई है. इसके लिए उन्होंने जनप्रतिनिधि अधिनियम के प्रावधानों को असंवैधानिक बताते हुए चुनौती दी है, जो कि दोषी राजनेताओं को जेल की अवधि के बाद 6 साल की अवधि के लिए चुनाव लडने से अयोग्य करार देता है. इस मामले की सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल एक नवंबर 2017 को फास्ट ट्रैक न्यायालयों की तर्ज पर नेताओं के खिलाफ चल रहे आपराधिक मामलों के निपटारे के लिए विशेष न्यायालयों की स्थापना के लिए केंद्र को जरूरी निर्देश दिया था.


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