CBI विवाद: आलोक वर्मा के घर के बाहर से हिरासत में लिए गए IB के चार अधिकारी

नई दिल्ली। सीबाआई के डायरेक्टर आलोक वर्मा के घर के बाहर से चार लोगों को पुलिस ने हिरासत में लिया है। खबर है कि ये लोग उनके घर के बाहर हंगामा कर रहे थे। जिसके बाद सीबीआई डायरेक्टर के निजी सुरक्षा गार्ड सभी को पकड़कर घर के अंदर ले जाकर पूछताछ करने लगे और दिल्ली पुलिस की इसकी सूचना दे दी। पता चला है कि पुलिस हिरासत में लिए गए चारों इंटेलिजेंस ब्यूरो के अधिकारी हैं। इन सभी को हिरासत में लिए जाने के बाद सीबीआई मुख्यालय की सेक्योरिटी बढ़ा दी गई है।

 

आईबी के अधिकारियों से हुई बदसलूकी

दिल्ली पुलिस द्वारा आईबी के इन चारों अधिकारियों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। वहीं, आईबी की ओर से बताया गया है कि सीबीआई के डायेक्टर आलोक वर्मा के 2 जनपथ स्थित घर के पास वर्मा के पीएसओ ने जिन चार लोगों से बदसलूकी की, वो सभी आईबी के अधिकारी हैं। यह भी बताया गया कि जनपथ हाई सिक्योरिटी जोन में आता है। यही वजह है कि आईबी का स्टाफ हमेशा वहां मौजूद रहता है। हालांकि, आईबी के इन चारों अधिकारियों को पूछताछ के बाद छोड़ दिया गया है।

 

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इतना ही नहीं, आईबी की ओर से दिए गए बयान में कहा गया है कि आलोक वर्मा को लेकर किसी भी तरह की कोई जासूसी नहीं जा रही थी। बता दें कि सीबीआइ डायरेक्टर को केंद्र सरकार ने बुधवार को फोर्स लीव पर भेज दिया। केंद्र सरकार के इस फैसले के खिलाफ सीबीआई डायरेक्टर ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और सुप्रीम कोर्ट इस पर सुनवाई करने को तैयार हो गया है। यही भी बता दें कि एम नागेश्‍वर राव को उनकी अनुपस्थिति में सीबीआइ का कार्यभार सौंपा गया है।

 

सीबीआइईके चीफ आलोक वर्मा और स्‍पेशल डायरेक्‍टर राकेश अस्‍थाना के मचे घमासान के बीच ज्वाइंट डायरेक्टर एम नागेश्वर राव को सीबीआइ का अंतरिम निदेशक बनाया गया है। अग्रिम आदेशों तक अब सीबीआई का कामकाज नागेश्वर राव ही देखेंगे।

 

ये है पूरा का मामला

गौरतलब है कि सीबीआई में उजागर हुए कथित घूसकांड के बाद सीवीसी की सिफारिश पर सरकार ने आलोक वर्मा और सीबीआइ के स्‍पेशल डायरेक्‍टर राकेश अस्थाना को कुछ समय के लिए छुट्टी पर भेज दिया है। आलोक वर्मा ने सरकार के इस फैसले पर सवाल उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर की है, जिसपर शुक्रवार को सुनवाई होगी।

 

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सीबीआई ने 15 अक्टूबर को राकेश अस्थाना के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी। अस्थाना पर आरोप है कि व्यापारी सतीश सना ने गिरफ्तारी से बचने के लिए एक बिचौलिये के माध्यम से उन्हें पांच करोड़ रुपए की रिश्वत दी थी। अस्थाना ने कई महत्वपूर्ण मामलों की जांच की है, जिनमें भगोड़े व्यापारी विजय माल्या के बैंक ऋण का घोटाला और अगस्ता वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर घोटाला शामिल है।

 

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