लखनऊ: गोकशी के आरोपी को जस्टिस एआर मसूदी ने बताई ‘गाय की महत्ता’, बोले- गोमांस खाकर जन्नत नहीं चले जाओगे

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में गोकशी के आरोप में गैंगस्टर एक्ट में बंद हुए अभियुक्त को जवाब देते हुए जस्टिस अताउर रहमान मसूदी ने समाज में गाय की उपयोगिता पर प्रकाश डाला है. उनके गाय पर दिए गए ज्ञान से वहां मौजूद लोग आश्चर्यचकित रह गए.

 

जस्टिस अताउर रहमान मसूदी की एकल पीठ ने कहा है कि गाय का न केवल धार्मिक, अपितु आर्थिक महत्व भी काफी है. मां के दूध के बाद गाय का दूध ही सबसे उत्तम माना गया है, उसका गोबर खेती के लिए महत्वपूर्ण होता है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता हरदोई के विमल शुक्ला को जमानत देते हुए यह टिप्पणी की.

 

1,000 जनसँख्या पे एक गौशाला, प्रत्येक परिवार गोद ले एक गाय 

कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार के स्थानीय नगरी निकाय से प्रत्येक 1000 की जनसंख्या पर एक गौशाला होनी चाहिए, और प्रत्येक परिवार को एक गाय गोद लेने की जिम्मेदारी निभानी चाहिए ताकि उनके रखरखाव का खर्च निकायों पर बोझ न बने. वहीं बेकार हो चुके मवेशियों की व्यवस्था के लिए स्लाटर हाउस खोलने को कहा. कोर्ट ने कहा कि खानपान की आदत-अलग अलग हो सकती है किंतु यह नफरत का आधार नहीं बानना चाहिए.

 

गोमांस खाकर क्या जन्नत मिलेगी?
जस्टिस अताउर रहमान मसूदी ने कहा कि किसी अधिनियम में किसी मवेशी को अगर मारने पर पाबंदी है, तो उसे खाकर क्या जन्नत मिल जायेगी. मुस्लिम, सिख या ईसाई हो गोमांस मांस खाकर जन्नत पा जाएंगे. इतिहास में ऐसा कभी नहीं सुना गया.

 

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