जानें कौन हैं ‘EVM हैकिंग’ से जुड़ी प्रेस कांफ्रेस करवाने वाले ‘आशीष रे’

कथित अमेरिकी हैकर सैयद शुजा के इवीएम पर लगाये गए आरोपों के बाद देश सियासी बवाल मचा हुआ है. देश में फिर से एक बार फिर इवीएम पर बहस शुरू हो चुकी है. सैयद शुजा को लेकर तरह-तरह की बातें हो रही हैं. वहीं शुजा के अलावा इस अरेंजमेंट से जुड़े एक और शख्स का नाम सुर्खियों में है, वो हैं.. आशीष रे.


बीजेपी की तरफ से केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने ईवीएम हैकिंग को लेकर जब कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधा तो उन्होंने भी आशीष रे का नाम लिया. केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि हैकिंग विवाद में जिस आशीष रे का नाम आया है उससे कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने लंदन में मुलाकात की है.


जानें कौन हैं आशीष रे

आशीष की पहली पहचान है बोस परिवार. रिश्ते में ये नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पड़भतीजे लगते हैं. जैसे पड़पोता होता है, वैसे ही तीसरी पीढ़ी के. पैदा हुए वियना में. पिता थे डॉक्टर. मां घर संभालती थीं. दार्जिलिंग में स्कूल किया. 19 के थे, जब ऑल इंडिया रेडियो पर लाइव प्रोग्राम किया. 1977 में BBC वर्ल्ड सर्विस में काम मिला. उसी सिलसिले में लंदन जाना हुआ. वो अब भी लंदन में रहते हैं. पत्रकार हैं. रिसर्चर हैं. किताबें लिखी हैं. हाल ही में नेताजी पर लिखी उनकी किताब आई थी- लेड टू रेस्ट: द कंट्रोवर्सी ओवर सुभाष चंद्र बोसेज़ डेथ. इस किताब की प्रस्तावना बोस की 75 बरस की बेटी अनीता ने लिखी है.


और क्या-क्या किया है आशीष रे ने?


आशीष विदेश मामलो की रिपोर्टिंग करते हैं. BBC और CNN के साथ. आनंद बाज़ार ग्रुप, ट्रिब्यून और टाइम्स ऑफ इंडिया में भी रहे. अफगानिस्तान वॉर भी कवर किया इन्होंने. कहते हैं कि अफगानिस्तान के सिविल वॉर को कवर करते समय उन्होंने काबुल से एक लाइव रिकॉर्डिंग की थी. ये शायद टीवी का पहला लाइव शॉट था. बाबरी मस्जिद के ढहने के बाद उस समय के प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने पहला इंटरव्यू CNN को ही दिया था. इंटरव्यू लिया था आशीष रे ने.


क्रिकेट से भी रिश्ता है


आशीष रे का क्रिकेट में भी बहुत दिल लगता है. कुछ लोग कहते हैं कि वो दुनिया के सबसे युवा टेस्ट मैच कॉमेंटेटर थे. ये कारनामा किया उन्होंने साल 1975 में. 1983 के वर्ल्ड कप में लॉर्ड्स वाला जो फाइनल था, उसमें BBC के लिए कॉमेंटरी इन्होंने ही की थी.


इंडियन जर्नलिस्ट्स असोसिएशन का कनेक्शन?


1983 का साल था. जब आशीष रे पहली बार इंडियन जर्नलिस्ट्स असोसिएशन (IJA) के प्रेजिडेंट बने. हमने इसकी वेबसाइट खोलने की बड़ी कोशिश की. ताकि पता लगे कि ये काम क्या करता है. मगर वेबसाइट खुली ही नहीं. फिलहाल इसी संगठन के यूरोप विंग के मुखिया हैं आशीष रे. वेबसाइट खुलती तो मालूम चलता कि संगठन से और कौन-कौन जुड़ा हुआ है.


बता दें कि इस मामले में कथित अमेरिकी हैकर सैयद शुजा के दावे झूठे साबित हुए. उसने जो पढ़ाई और नौकरी को लेकर को लेकर जो बाते कहीं थी वो सब झूठी साबित हुई. शुजा ने दावा किया था कि वह ECIL में काम करता था वहीं जब मीडिया ने वहां जाकर जांच-पड़ताल की तो दावे की हवा निकल गयी.


मीडिया ने जब ECIL से सैयद शुजा के बारे जानकारी मांगी तो उन्होंने साफ़ इंकार कर दिया. अधिकृत अधिकारीयों का कहना है कि सैयद शुजा नाम का कोई भी व्यक्ति हमारे यहाँ कभी काम नहीं किया. उन्होंने अपने पूरे रिकॉर्ड खंगाले लेकिन इस नाम का कोई भी व्यक्ति दस्तावेजों में नहीं मिला.


कुछ ऐसी ही हवा शुजा के दूसरे दावे की भी निकल गयी जिसमें उसने कहा था कि उसने हैदराबाद के इंजीनियरिंग कॉलेज से पढ़ाई की है. मीडिया ने जब उस कॉलेज में जाकर जांच पड़ताल की तो तो शुजा का यह दावा भी झूठा ही निकाला. कॉलेज प्रशासन का कहना है कि इस नाम का कोई भी व्यक्ति हमारे यहाँ नहीं पढ़ा है.


चुनाव आयोग ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए ने दिल्ली पुलिस को पत्र लिखकर एवीएम हैकिंग का दावा करने वाले पर एफआईआर दर्ज करने का अनुरोध किया है. आयोग ने कहा कि इस मामले में सैयद शुजा के बयान के आधार पर जांच की जानी चाहिए.


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