अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने दी एक और तारीख, कार्यवाही पूरी करने के लिए मांगा 15 अगस्त तक का समय

उच्चतम न्यायालय ने राजनीतिक दृष्टि से संवेदनशील अयोध्या में राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद का सर्वमान्य हल खोजने के लिये शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश एफ.एम.आई कलीफुल्ला की अध्यक्षता में गठित मध्यस्थता समिति का कार्यकाल शुक्रवार को 15 अगस्त तक के लिये बढ़ा दिया. प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा कि उसे न्यायमूर्ति कलीफुल्ला मध्यस्थता समिति की रिपोर्ट मिली है और उसने अपनी कार्यवाही पूरी करने के लिये 15 अगस्त तक का समय देने का अनुरोध किया है.


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पीठ ने संबंधित पक्षों के वकीलों से कहा कि ‘यदि मध्यस्थता करने वाली समिति नतीजों के प्रति आशान्वित है और 15 अगस्त तक का समय चाहती है तो इतना समय देने में क्या नुकसान है? यह मुद्दा सालों से लंबित है. हमें इसे समय क्यों नहीं देना चाहिए’? संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एस.ए. बोबडे, न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल हैं. इस मामले में दोनों ही पक्षों के वकीलों ने मध्यस्थता की कार्यवाही के प्रति भरोसा जताया और कहा कि वे इस प्रक्रिया में पूरा सहयोग कर रहे हैं.


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इससे पहले सुनवाई शुरू होते ही पीठ ने कहा कि उसे मध्यस्थ्ता समिति की रिपोर्ट 7 मई को मिल गयी है और उसने मध्यस्थता की कार्यवाही पूरा करने के लिये 15 अगस्त तक समय देने पर विचार करने का अनुरोध किया है. पीठ ने कहा कि हमने न्यायमूर्ति कलीफुल्ला की 7 मई की रिपोर्ट का अवलोकन किया है और उस पर विचार किया है. रिपोर्ट में मध्यस्थता की कार्यवाही की प्रगति की जानकारी दी गयी है. इसका सर्वमान्य समाधान खोजने के लिये समिति को 15 अगस्त तक का समय दिया जा सकता है’.


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सुप्रीम कोर्ट ने 8 मार्च को न्यायमूर्ति एफ.एम.आई. कलीफुल्ला की अध्यक्षता में मध्यस्थता समिति गठित की थी. इस समिति के अन्य सदस्यों में आध्यत्मिक गुरू और आर्ट आफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर और वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीराम पंचू शामिल थे. न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि मध्यस्थता समिति उप्र के फैजाबाद जिले में अपना काम करेगी और इसके लिये कार्यस्थल, सदस्यों के रहने का बंदोबस्त, सुरक्षा, आने जाने की सुविधा सहित अन्य व्यवस्थायें राज्य सरकार करेगी. जिससे कि समिति की कार्यवाही सुचारू ढंग से हो सके. समिति का कार्यस्थल अयोध्या से करीब 7 किलोमीटर दूर है. पीठ ने कहा था कि मध्यस्थता की कार्यवाही, मानकों के अनुरूप ही बंद कमरे में होगी.


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