जानें क्यों मनाया जाता है ‘गणतंत्र दिवस’, तथ्य जानकर आपको भी होगा गर्व महसूस

भारत को आजादी मिलने के बाद 26 जनवरी 1950 को देश का संविधान प्रभावी हुआ. और इसी के बाद से 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रुप में मनाया जाता है. इस साल हम 70वां गणतंत्र दिवस मना रहे हैं, लेकिन शायद कम ही लोग जानते हैं कि 26 जनवरी को आखिर क्यों गणतंत्र दिवस मनाया जाता है. इसके पीछे अहम ऐतिहासिक घटनाक्रम है. हम आपको आज गणतंत्र से जुड़ी कुछ ऐसी ही दिलचस्प बातों से रुबरु करवा रहे हैं. तो आइए जानते हैं रिपब्लिक डे के बारे में…


दरअसल, दिसंबर 1928 में इंडियन नेशनल कांग्रेस ने डोमिनन स्टेटश के लिए एक प्रस्ताव लाई. जिसके बाद ब्रिटिश सरकार ने इस मांग को ये कहते हुए खारिज कर दिया दिया कि अभी भारत इसके लिए तैयार नहीं है. जिससे कांग्रेस काफी धक्का लगा. फिर उसके ठीक बाद साल 1929 में लाहौर अधिवेश में पंडित जवाहर लाल नेहरु को कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया. जिसके बाद ही कांग्रेस ने डोमिनन स्टेटश की जगह पूर्ण स्वराज की मांग कर दी.


फिर इसके बाद ही एक प्रस्ताव पारित हुआ, जिसमें 1930 के आखिरी रविवार को स्वतंत्रता दिवस के रुप मनाया जाना तय हुआ. और इसके बाद इसी दिन 26 जनवरी 1930 को लाहौर में रावी नदी के किनारे तिरंगा झंडा शान से पहराया गया. हालांकि अंग्रेज उस समय भारत में ही थे. फिर देश आजादी के बाद पूर्ण स्वराज दिवस को ध्यान में रख 26 जनवरी को देश का संविधान लागू हुआ. पूरा देश हर्षोउल्लास के साथ इस दिन गणतंत्र दिवस के रुप में मनाता है.


बता दें कि 26 जनवरी, 1950 को 10 बजकर 18 मिनट पर भारत का संविधान लागू किया गया था. तो वहीं भारतीय संविधान का निर्माण होने में 2 साल, 11 महीने और 18 दिन का समय लग गया था. तो डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने गवर्नमेंट हाऊस में 26 जनवरी, 1950 को देश के पहले राष्ट्रपति के तौर शपथ ली थी.


आपको जानकर गर्व महसूस होगा कि पहली बार गणतंत्र दिवस की परेड साल 1955 में दिल्ली के राजपथ पर आयोजित हुई थी. इस दिन देश के राष्ट्रपति तिरंगा झंडा फहराते हैं और उन्हें 21 तोपों की सलामी दी जाती है. इसके साथ ही इस दिन परमवीर चक्र, वीर चक्र, महावीर चक्र, कीर्ति चक्र और अशोक चक्र जैसे तमाम अवॉर्ड्स दिए जाते हैं.


आपको बता दें कि भारत के राष्ट्रीय ध्वज को पिंगली वेंकैया किया था. तो वहीं झंडा समिति के अध्यक्ष जे बी कृपलानी थे. हमारे राष्ट्रीय ध्वज को आजादी के कुछ दिन पहले 22 जुलाई 1947 को अपनाया गया था.


भारतीय संविधान को रुप देने वाले डॉ. भीमराव आम्बेडकर इसके प्रारूप समिति के अध्यक्ष थे. तो भारतीय संविधान ने कई देशों के अच्छे गुणों को अपने में आत्मसात किया. हाथ से लिखी गई संविधान की मूल प्रतियां संसद भवन के पुस्तकालय में सुरक्षित रखी गई हैं. जो हिन्दी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में मैजूद है.


Also Read: आजादी की सुबह ग्वालियर में तिरंगा नहीं बल्कि सिंधिया राजवंश का ध्वज फहराया गया था


देश और दुनिया की खबरों के लिए हमेंफेसबुकपर ज्वॉइन करेंआप हमेंट्विटरपर भी फॉलो कर सकते हैं. )